नयी दिल्ली : पाकिस्तान की ओर से निवार्सित बलूच नेता ब्रह्मदत्त बुगती को शरण देकर भारत वहांकी एक अदालत की ओर से नजरबंद खूंखार आतंकी सरगना और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद की रिहाई का बदला ले सकता है़ स्विट्जरलैंड ने बुगती को शरण देने की अर्जी को खारिज कर दिया है़ यह दोनों फैसले एक दिन दिये गये हैं.
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बुधवार को पाक में बैठकर भारत में दहशतगर्दी फैलाने वाले आतंकी को रिहा कर दिया गया, तो उसी दिन स्विट्जरलैंड की ओर से बलूचों के अधिकारों के लिए लड़ रहे बलूच रिपब्लिकन पार्टी के नेता ब्रह्मदाग बुगती की शरण की याचिका खारिज करदी गयी. भारत के लिए हाफिज सईद की रिहाई का फैसला चिंता का सबब हो सकता है.
हिंदी के समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, ब्रह्मदाग बुगती ने इसी साल जनवरी में भारत से भी शरण की मांग की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान में नये सेनाध्यक्ष चुने जाने के बाद संबंधों में सुधार की उम्मीद से उनकी अर्जी पर विचार नहीं किया था. आज के दौर में पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार होने की बजाय अपने निचले स्तर पर है.
ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत सईद की रिहाई के जवाब में बलूच रिपब्लिकन पार्टी के नेता ब्रह्मदाग बुगती को शरण देने का फैसला कर सकता है. स्विट्जरलैंड की ओर से अपनी शरण की अर्जी को खारिज किये जाने के बाद बुगती ने ट्वीट किया कि मैं अब भी पाकिस्तान में मोस्ट वॉन्टेड हूं और सईद जैसे आतंकियों को रिहा ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि पाक की सेना उनकी सुरक्षा भी कर रही है.
अखबार के अनुसार, हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकी घोषित किया गया है. अमेरिका ने उस पर 64 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है. यही नहीं, वह 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड भी है, जिसमें 166 लोग मारे गये थे, जबकि 300 से अधिक घायल हुए थे. मुंबई हमले की बरसी से ठीक 4 दिन पहले लाहौर की कोर्ट ने सईद की रिहाई का फैसला सुनाकर भारत के जख्मों पर नमक रगड़ने जैसा काम किया है.
ब्रह्मदाग बुगती बलूच रिपब्लिक पार्टी के संस्थापक हैं, जो पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की मांग कर रही है. ब्रह्मदाग बुगती के दादा की पाकिस्तानी सेना ने हत्या कर दी थी. बलूच रिपब्लिकन पार्टी के सूत्रों ने जियो न्यूज को बताया कि भले ही पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया हो, लेकिन ब्रह्मदाग और भारतीय एजेंसियों के बीच इस साल की शुरुआत से ही नागरिकता को लेकर बातचीत चल रही थी.