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ब्लॉग: अपने पति के लिए आप किस हद तक जाएंगी?

<p>नहीं, ये सीता और उनके उस फ़ैसले के बारे में नहीं है, जब उन्होंने अपने पति के 14 साल के वनवास में उनके साथ जंगलों में रहना चुना था.</p><p>ना ही ये आज के ज़माने की औरतों के बारे में है, जो शादी के बाद अपने पति की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए शहर बदल […]

<p>नहीं, ये सीता और उनके उस फ़ैसले के बारे में नहीं है, जब उन्होंने अपने पति के 14 साल के वनवास में उनके साथ जंगलों में रहना चुना था.</p><p>ना ही ये आज के ज़माने की औरतों के बारे में है, जो शादी के बाद अपने पति की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए शहर बदल लेती हैं या नौकरी छोड़ देती हैं.</p><p>ये इस ओर या उस ओर जैसी बात है ही नहीं. काला या सफ़ेद नहीं, ये मसला मटमैला है. और गंदा है. </p><p>अगर एक औरत का पति सार्वजनिक जगह पर किसी औरत के साथ बदतमीज़ी करे तो पत्नी के तौर पर उसे क्या करना चाहिए? </p><p>और वो औरत इसे ‘हल्का-फुल्का मज़ाक’ ना मान कर कहे कि ऐसी हरक़तें ‘<a href="https://www.thequint.com/voices/opinion/mallika-dua-blog-on-akshay-kumar-sexist-comment-laughter-challenge">हमें असहज महसूस कराती हैं और हमें इनसे नफ़रत है</a>’.</p><p>और उस औरत के पिता नाराज़ होकर इस पति को ‘क्रेटिन’ यानी बेवकूफ़ कहें.</p><p>क्या वो पत्नी शर्मिंदा होगी, लज्जित होगी और अपने पति को माफ़ी मांगने के लिए समझाएगी? या उसे उस औरत का ही मज़ाक बनाना चाहिए?</p><p>अगर पिछले दिनों में सोशल मीडिया में छिड़ी बहस से आप अनजान हों तो जान लें कि जिस पति की चर्चा हो रही है वो हैं अक्षय कुमार और वो औरत है कॉमेडियन मल्लिका दुआ.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-40402384">ब्लॉग: मैंने कितनी बार अपने पति को नहीं पीटा</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-40012957">‘बॉयफ़्रेंड’ और पति के साथ-साथ चाहिए ‘हाफ़ बॉयफ़्रेंड’</a></p><p>एक टीवी शो में जब मल्लिका दुआ एक कलाकार के ‘ऐक्ट’ की तारीफ़ में घंटी बजाने के लिए बढ़ीं, तो अक्षय कुमार ने कहा, ‘मल्लिका जी, आप ये घंटी बजाओ मैं आपको बजाता हूं’.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41794402">ट्विंकल खन्ना ने बताया ‘बजाने’ का मतलब</a></p><p>औरतों को कम दिखाने वाली इस टिप्पणी पर मल्लिका और उनके पिता समेत कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी, पर अक्षय कुमार ने चुप रहने का फ़ैसला किया.</p><p>उनकी जगह उनकी पत्नी बोलीं, और अपने पति की बात को मज़ाक बताकर और दो अर्थों वाले शब्द का सहज इस्तेमाल कह कर टाल दिया. </p><p>ये पढ़ते हुए आप मुस्कुरा रहे हैं ना. हैं ना? क्योंकि आप जानते हैं कि अक्षय कुमार का क्या मतलब था.</p><p>हम सबको पता है कि बोलचाल की भाषा क्या होती है. और शब्दों को जिस व़क्त और जिस नीयत से इस्तेमाल किया जाए उससे उनका मतलब कैसे बदल जाता है.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-39190433">वो औरत जिन्होंने विदेश में पहली बार फहराया भारत का झंडा</a></p><p>तो फिर ट्विंकल खन्ना ये क्यों नहीं देख पा रहीं? उन्होंने क्यों इसे अनदेखा करने का फ़ैसला किया है?</p><p>वो ये क्यों नहीं समझतीं की हम जितनी बार औरतों को उन्हें कमतर दिखानेवाले भद्दे मज़ाक नज़रअंदाज़ करने को कहते हैं, उतनी ही बार हम बढ़ावा देते हैं कि समाज ऐसे मज़ाक को ‘नॉर्मल’ माने.</p><p>ये मज़ाकिया बिल्कुल नहीं है. और तब तो बिल्कुल नहीं जब ये काम की जगह पर किया गया हो.</p><p>जब रसूख़वाला एक आदमी अपनी ताकत का इस्तेमाल कर अपनी महिला सहकर्मी को नीचा दिखाए और बाक़ि लोगों को भी उस ‘मज़े’ का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित करे.</p><p>ट्विंकल खन्ना बेबाक़ी से अपनी बात रखनेवाली औरतों में से हैं पर अपने पति का लड़ाई क्यों लड़ें और वो भी ‘ग़लत पक्ष’ से?</p><p>अपने पति के कमेंट को ‘मज़ाक’ बतानेवाला उनका पहला ट्वीट ही परेशान करनेवाला था, पर वो वहीं नहीं रुकीं बल्कि आगे बढ़कर उसमें अपने चुटकुले जोड़ दिए.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41149004">‘तुम विकलांग हो, तुम्हारे बलात्कार से क्या मिलेगा?’</a></p><p>उनके दूसरे ट्वीट में दो चुटकुले थे, ‘अक्षय की पसंदीदा कार कौनसी है? बेल गाड़ी’ और ‘अक्षय कुमार मस्जिद क्यों गए? वो कुछ दुआ सुनना चाहते थे’.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41317535">’बोल ना आंटी आऊं क्या, घंटी मैं बजाऊं क्या?'</a></p><p>ट्वीट में लिखा था, ‘मैं इन दो को (पोस्ट) करने से रोक नहीं पाई और इसके बाद मुझे और कुछ नहीं कहना #LameJokes’.</p><p>मैं ऐसे समाज की व़कालत नहीं कर रही जहां सब हर व़क़्त संजीदा रहते हैं. और लोगों की ही तरह चुटकुलों का मज़ा लेना मुझे भी पसंद है.</p><p>पर मुझे इतनी खुशी है कि ट्विंकल को और कुछ नहीं कहना है, क्योंकि जो उन्होंने कहा वो ‘भद्दा मज़ाक’ है.</p><p>पहले तो औरतों को कम दिखानेवाले बर्ताव को सही ठहराना, उसपर पर्दा डालना और उसके ऊपर उसी औरत का मज़ाक बनाना जो उस ‘मज़ाक’ का निशाना बनी.</p><p>ट्विंकल के ट्वीट पर आनेवाले कमेंट्स में साफ़ कहा गया, ‘जिसे अपमानित किया गया हो, उसी का मज़ाक उड़ाना सबसे बुरा है’, ‘करवाचौथ और औरतों से जुड़ी रूढ़ीवादी परंपराओं के बारे में बोलने के बाद आप ये नहीं देख पा रहीं कि ये कितना ग़लत है’, और ‘अगली बार जब कोई आदमी आप पर सेक्सिस्ट चुकुला कहे तो शिकायत मत कीजिएगा, आपके लिए मन में जितनी इज़्ज़त थी वो चली गई है’.</p><p>क्या ये अपनी शादी को बचाने के बारे में है? लोगों की नज़र में इज़्ज़त बचाने के बारे में? या अपनी मानसिक शांति के लिए अपने पार्टनर के बर्ताव की सफ़ाई ढूंढने के बारे में?</p><p>ट्विंकल खन्ना के मन में इनमें से जो भी हो, मल्लिका दुआ ने इस मज़ाक को हंसी में टालना बेहतर समझा.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41243624">ऑफ़िस में मर्दों को क्यों लगता है डर?</a></p><p>वो कहती हैं, <a href="https://www.thequint.com/voices/opinion/mallika-dua-blog-on-akshay-kumar-sexist-comment-laughter-challenge">(पढ़ें: ब्लॉग)</a>, ‘अगर ऐसे बर्ताव का निशाना बनाई जानेवाली हर औरत इसके विरोध में अपना काम छोड़ दे तो कोई औरत काम नहीं कर पाएगी’.</p><p>पर वही तो बात है. अगर ‘सेक्सुअल हैरेसमेंट’ करनेवाले मर्द और उनकी सफ़ाई पेश करनेवाली औरतों का विरोध नहीं किया गया तो कुछ नहीं बदलेगा.</p><p>मटमैला रंग और गाढ़ा हो जाएगा, गंदगी बदबू मारने लगेगी. और चुप रहकर काम करते जाना असंभव हो जाएगा.</p><p>मैं लिख नहीं पाऊंगी और आप पढ़ेंगे नहीं. हालात ऐसे ना हो जाएं, इसकी ज़िम्मेदारी हम सबकी है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">आप यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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