सिनेमाई पर्दे पर शम्मी कपूर ‘याहू’ चिल्लाते हुए जब आते थे, तब कोई उन्हें जंगली कहे या कुछ और. शमशेर उर्फ शम्मी कपूर ने इस बात की फिक्र नहीं की.
एक्टिंग करते हुए नदियों में छलांग लगाने से लेकर बर्फीली पहाड़ियों पर नाचने तक- शम्मी कपूर अपने दौर के छैल छबीले एक्टर थे.
21 अक्टूबर 1931 को जन्मे शम्मी ने 12 अगस्त 2011 को आख़िरी सांस ली. शम्मी कपूर आख़िरी बार अपने खानदान के नए स्टार रणबीर के साथ तमाशा फ़िल्म में नज़र आए थे.
हम आपको बीबीसी के ख़ज़ाने से शम्मी कपूर का एक यादगार इंटरव्यू पढ़वाते हैं. ये इंटरव्यू तब संजीव श्रीवास्तव ने लिया था.
पढ़िए शम्मी की ज़ुबानी, कैसी थी उनकी ज़िंदगानी
मैंने याहू पहली बार ‘तुमसा नहीं देखा’ फिल्म में इस्तेमाल किया था. लड़के और लड़की के बीच भंगड़ा डांस हो रहा होता है. लड़का फिसलता है, फिर उठता है और लड़की का पीछा कर रहा होता है. फिर जब वो लड़की से मिलता है तो उसके एक्सप्रेशन में याहू निकलता है.
मैंने इसे फिल्म दिल देकर देखो में दोहराया. इन दोनों ही फिल्मों को नासिर हुसैन को डायरेक्ट किया था. फिर इसे जंगली में भी इस्तेमाल किया और ये काफ़ी लोकप्रिय हो गया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि मेरे परिवार के कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि याहू मेरी कंपनी है. एक बार रणधीर कपूर ने भी मुझसे कहा कि अंकल आपने बताया नहीं कि याहू आपकी कंपनी है. जवाब में मैंने कहा कि पागल आदमी, याहू मेरी कंपनी होती तो मैं यहां बैठा होता. मैं तब अमरीका में होता.
मधुबाला बोलीं- बहुत पतले हो
मैं यानी पृथ्वीराज कपूर का बेटा, राज कपूर का भाई और गीता बाली का पति भी था. आप इसे फ़ायदा या नुकसान कुछ भी समझ लीजिए. लेकिन हां इंडस्ट्री में मैंने जो शुरुआत के चार-पांच साल गुज़ारे, इसमें मेरी पहचान यही रही कि मैं राज कपूर का भाई और गीता बाली का खाविंद हूं. मेरी कोई अपनी हैसियत नहीं थी.
मैं नहीं समझता हूं कि ये कोई फ़ायदे वाली बात थी. हां लेकिन ये प्रोत्साहन था कि आदमी और कोशिश करे ताकि अपनी पहचान बना सके.
जब मैंने रेल का डिब्बा फिल्म मधुबाला के साथ की, तो वो बोलीं- तुम इतने पतले हो कि मैं तुम्हारी हीरोइन नहीं लगती हूं, कुछ और लगती हूं तुम अपना वज़न बढ़ाओ.
मैंने फिर वज़न बढ़ाने के लिए बीयर पीना शुरू किया. मैंने जब तुमसा नहीं देखा फिल्म साइन की तो मैंने ये सोचा कि मेरी ज़िंदगी का आख़िरी मौका था. अगर इस मौके को चूक गया तो सब गया. इसके लिए मैंने मूंछ, बाल कटवाए और अपना लुक बदला.
‘मधुबाला जैसी हसीन लड़की नहीं देखी’
मुझे शुरू में ऐसा कोई मौका नहीं मिला कि मैं अपना स्टाइल डेवलेप कर सकूं. तुमसा नहीं देखा फिल्म में मुझे ये मौका मिला. म्यूज़िक ने मुझे हमेशा प्रभावित किया.
डांस करना मुझे शुरू से अच्छा लगता है. लेकिन राज़ की बात ये है कि मुझे डांस करना अच्छा नहीं लगता. मुझे इतना याद है कि हम पिताजी के साथ माटुंगा में जहां रहा करते थे, वहां एक डांस सैलून किस्म का हॉल था. वहां एक लड़की 20 रुपये घंटे के हिसाब से नाचना सिखाती थी.
हमने वहां जाकर टैंगों सीखने की कोशिश की. वो लड़की खूबसूरत थी. हम भी जवान थे, 19-20 की उम्र रही होगी. हमने टैंगो सीखने की कोशिश की पर डांस हमें नहीं आया.
सच ये है कि डांस मुझे नहीं आता. पर हां, मुझे म्यूज़िक का शौक बचपन से है. जब मैं बचपन में थियेटर में पिताजी के साथ टूर पर जाया करते थे. उन रातों को जो मैंने अलग-अलग जगहों पर गुज़ारी हैं, तो मैंने म्यूज़िक के साथ गुज़ारी है.
छतों पर चांद को देखते हुए मैं बजते म्यूजिक को अपने एक्सप्रेशन देता था. म्यूज़िक कोई सा भी हो. चांद को देखते हुए ये करते हुए अगर किसी की याद आने की बात करूं तो तब से लेकर आज तक मैंने मधुबाला जैसी हसीन लड़की नहीं देखी.
शम्मी को कोई अफ़सोस नहीं
आज कल के ज़माने में जो बात होती थी और पहले नहीं होती थी. पहले अगर फिल्म किसी एक कलाकार के लिए लिखी गई है तो फिर उसमें वही काम करेगा. हर किसी का अपना कैनवास था.
आज का दौर ये है कि शाह रुख़ ख़ान को ले लो. अच्छा शाह रुख़ नहीं मिल रहा तो सलमान को ले लो. ओह सलमान भी नहीं मिल रहा, तो आमिर तो है न.
मैंने जो काम किए हैं एक्टिंग के दौरान, जैसे पहाड़ी से कूदना, नदी में छलांग. इन सब चीजों से मुझे चोटें लगी. तो मैं जो करता था, वो मैं नहीं कर पा रहा था. इसलिए मैंने एक्टिंग बंद कर दी.
दुनिया घूम ली. जी भर खा लिया और पी लिया है. सारे रंग देखे हुए हैं. काम कर लिया. मुझे किसी बात का कोई अफ़सोस नहीं.
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