ढाका : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पड़ोसी देश म्यांमार पर रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को लेकर युद्ध भड़काने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि उनकी सरकार ने संयम दिखाकर संघर्ष को टाला है. हसीना ने कहा कि हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी देश म्यांमार से आये करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को उनकी सरकार समर्थन देना जारी रखेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों की मदद से एक द्वीप पर रोहिंग्या के लिए अस्थायी शरण स्थलों को बनाये जाने की एक योजना पर विचार कर रही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में भाग लेने के बाद न्यू याॅर्क से लौटने पर ढाका हवाई अड्डे पर उन्होंने यह बात कही. संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में हुई हिंसा को नस्ली सफाया बताया है.
हसीना ने कहा, सेना, सीमा गार्ड और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है और उनसे कहा गया है कि मेरे आदेश के बिना किसी उकसावे पर कोई कार्वाई न करें. म्यांमार में हिंसा के बाद पुलिस जांच चौकियों पर आतंकवादी हमलों के बाद पिछले पांच सप्ताह लगभग 515,000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे हैं.
पुलिस चौकियों पर कथित हमलों को लेकर उत्तरी रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना द्वारा अभियान शुरू किये जाने के बाद 25 अगस्त से शरणार्थियों का आना शुरू हो गया था. म्यांमार की सीमा के निकट बांग्लादेश में अब आठ लाख से अधिक शरणार्थी रह रहे हैं. हसीना ने कहा कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या संकट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए उचित रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि मानवीय कारणों से बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के लिए शरण देने की पेशकश की क्योंकि उनके सामने उनकी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग लोगों के साथ क्रूर अत्याचार का खतरा था.
उन्होंने कहा, यदि जरूरत पड़ी तो हम एक दिन में एक बार भोजन करेंगे और शेष उनके साथ साझा करेंगे. बांग्लादेश ने पिछले महीने कहा था कि म्यांमार के ड्रोनों और हेलिकॉप्टरों ने लगातार उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और रोहिंग्याओं की वापसी रोकने के लिए सीमाओं पर बारुदी सुरंग लगा दी थी. ढाका ने उकसाने की कार्वाई का विरोध जताने के लिए बांग्लादेश में म्यांमार के राजदूत को कई बार तलब किया और चेतावनी दी कि इन उकसावे की कार्वाइयों के अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद म्यांमार की नेता आंग सान सूकी ने इस सप्ताह वार्ता के लिए एक वरिष्ठ प्रतिनिधि को ढाका भेजा था.