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बंगाल : पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना चाहती है राज्य सरकार, सरकारी योजनाओं के काम पर रखें पूरी निगरानी

केंद्र के खिलाफ लंबे समय से बंगाल में 100 दिवसीय कार्य परियोजना का भुगतान नहीं करने की शिकायत की गयी है. ऐसे में बंगाल को प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये कम मिल रहे हैं. इसके अलावा आवास योजना के तहत 8000 करोड़ रुपये भी रुके हुए हैं.

राज्य सरकार लंबे समय से केंद्र के खिलाफ आर्थिक अनुदान देने में भेदभाव का आरोप लगाती आ रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर अन्य तृणमूल नेता कई बार केंद्र सरकार के विरोध में आ चुके हैं. कई मामलों में केंद्र से फंड नहीं मिलने के कारण राज्य को प्रोजेक्ट कार्य पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई प्रोजेक्ट बीच में अटक गये हैं. इसके अलावा, पंचायतों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए राज्य सरकार ग्रामीण बंगाल के विकास के लिए पंचायतों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना चाहती है.

राज्य सरकार ने पंचायतों के तीनों स्तरों पर आय बढ़ाने पर दिया जोर

ऐसे में राज्य सरकार ने पंचायतों के तीनों स्तरों यानी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद पर अपनी आय बढ़ाने पर जोर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, इस आय को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसकी विशेष रूपरेखा बनायी जायेगी. पंचायत चुनाव के बाद अब बोर्ड गठन का समय आ गया है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 16 अगस्त तक बोर्ड का गठन हो जाये. बोर्ड के गठन के बाद तीनों स्तर के जनप्रतिनिधियों को इसकी स्पष्ट जानकारी दी जायेगी. उसके लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिया जायेगा.

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आय बढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

नवान्न सूत्रों के अनुसार, पंचायत बोर्डों को अपनी आय बढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी. पिछले शुक्रवार को मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने पंचायत कार्यालय के अधिकारियों, जिलाधिकारियों, एसडीओ और बीडीओ के साथ समीक्षा बैठक की. उस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के अलावा पंचायत को अपनी आय बढ़ाने को भी कहा गया. इसके अलावा मुख्य सचिव ने पंचायत विभाग के अंतर्गत चल रहे सभी कार्यों का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी साझा किया. बताया गया है कि राज्य सरकार भारतीय प्रबंधन संस्थान जैसे संस्थानों के माध्यम से पंचायतों के प्रतिनिधियों को अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करने की व्यवस्था करेगी.

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राजस्व चोरी का आरोप पाये जाने पर की जायेगी सख्त कार्रवाई

आय बढ़ाने के लिए राजस्व संग्रहण पर अधिक जोर दिया जा रहा है. खास तौर पर इन तीन स्तरों के अंतर्गत आने वाली दुकानों, बाजारों, घाटों, गोदामों आदि से राजस्व वसूली सुनिश्चित करने को कहा जा रहा है. ऐसे में यदि बकाया है तो उसे वसूला जाना चाहिए. किसी भी प्रकार से बकाया नहीं रखा जा सकता. नगरपालिकाओं की तरह पंचायत क्षेत्रों में ट्रेड लाइसेंस, बिल्डिंग प्लान की ऑनलाइन मंजूरी की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा. साथ ही राजस्व चोरी का आरोप पाये जाने पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.

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राजस्व संग्रहण के लिए ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने पर विशेष जोर

पंचायत विभाग को राजस्व संग्रहण के लिए ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है. राज्य का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के भीतर पंचायतों का अपना राजस्व बढ़ाना है. संयोग से, केंद्र के खिलाफ लंबे समय से बंगाल में 100 दिवसीय कार्य परियोजना का भुगतान नहीं करने की शिकायत की गयी है. ऐसे में बंगाल को प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये कम मिल रहे हैं. इसके अलावा आवास योजना के तहत 8000 करोड़ रुपये भी रुके हुए हैं. लिहाजा पंचायतों से अपना राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देने को कहा गया है.

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किसी भी सूरत में न रुके सरकारी योजनाओं का काम

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान कहा कि किसी भी सरकारी योजना का काम रुकना नहीं चाहिए. उन्होंने योजनाओं का काम पूरा करने की समय सीमा तय कर दी है. सीएम ने कहा कि किसी भी फैसले या प्रोजेक्ट को लागू करने की प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर शुरू कर देनी होगी और इसकी रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को दी जाए. साथ ही सरकारी योजना के कार्य के आवंटन की प्रक्रिया छह महीने के अंदर पूरी तरह से लागू की जाना चाहिए और मुख्यमंत्री कार्यालय को कार्य की प्रगति रिपोर्ट भी लगातार सौंपनी होगी.

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सरकार के अधीन खाली पड़ी जमीन बेची जायेगी

इसके अलावा सरकारी जमीन को लेकर भी बड़े फैसले लिये गये हैं. बैठक में मंत्री मलय घटक ने कहा कि राज्य में कई जगहों पर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है. मंत्री अरूप विश्वास ने भी इस मुद्दे पर अपनी बातें रखीं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने सभी को अतिक्रमण रोकने के लिए कार्रवाई करने का आदेश दिया. अब अतिक्रमण रोकने के लिए राज्य कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है. मालूम हो कि सरकार के अधीन खाली पड़ी जमीन बेची जायेगी. हालांकि, इसे किस कीमत पर और किसे बेचा जायेगा, इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.

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