स्वप्निल मिश्र को बांग्ला में 99, अंगरेजी में 98, गणित में 100, भौतिक विज्ञान में 100, जीव विज्ञान में 98, इतिहास में 94 और भूगोल में 98 अंक मिले हैं. स्वप्निल के पिता विजय मिश्र हबीबपुर थाने के आइहो गांव में व्यवसायी हैं. मां प्रतिमा मिश्र स्कूल शिक्षिका हैं. विद्यालय के सचिव स्वामी पाराशरानंदजी महाराज ने बताया कि हमारे स्कूल की प्रवेश परीक्षा में स्वप्निल ने पहला स्थान पाया था. इसके बाद पांचवीं से लेकर दसवीं तक वह स्कूल की हर परीक्षा में प्रथम रहा. हमें पहले से एहसास था कि वह अच्छा रिजल्ट लायेगा. दो अन्य छात्र अग्निभ राय और स्वरूप विश्वास बस एक नंबर से प्रथम दस की सूची में जगह पाने से चूक गये. दोनों पुनर्मूल्यांकन का आवेदन करेंगे.
स्वप्निल का सपना चिकित्सक बनकर ग्रामीण भारत की सेवा करना चाहता है. वह स्वामी विवेकानंद के दिखाये रास्ते का अनुसरण करना चाहता है. स्वप्निल ने कहा कि उसने अपना पूरा प्रयास किया है. वह रोज 10-11 घंटे पढ़ाई करता था. क्रिकेट देखना उसे बहुत पसंद है. गाने सुनना और कार्टून देखना भी उसे अच्छा लगता है.
स्वप्निल के माता-पिता ने उसकी सफलता का पूरा श्रेय रामकृष्ण मिशन को दिया है. विजय मिश्र ने कहा कि बचपन से ही हमने स्वप्निल को महाराज के हाथों में सौंप दिया था. उन्होंने ही उसे गढ़ा-बनाया है. हालांकि स्वप्निल को भी पढ़ना-लिखना बहुत पसंद है. मां के हाथों का बना खाना उसे बहुत अच्छा लगता है.
जिले में सबसे अच्छा रिजल्ट विवेकानंद विद्यामंदिर का है. 122 परीक्षार्थियों में से 50 ने 90 फीसद से अधिक अंक हासिल किये हैं. 64 परीक्षार्थियों को 75 फीसद से अधिक नंबर आये हैं. विद्यालय के प्रधान शिक्षक स्वामी सुरात्मानंदजी महाराज ने कहा कि हमलोग पढ़ाई को काफी महत्व देते हैं और जहां जरूरत होती है वहां पूरी सहायता भी करते हैं.
दूसरी तरफ बार्लो गर्ल्स हाइस्कूल में कुल परीक्षार्थियों की संख्या 221 थी. इनमें से 218 को प्रथम श्रेणी मिली है. उल्लेखनीय है कि जिले में इस बार कुल 44 हजार 634 परीक्षार्थी थे. इनमें 24 हजार 498 छात्राएं थीं.