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तृणमूल पार्षद ने अदालत में किया आत्म समर्पण

सिलीगुड़ी. विधान नगर नगरपालिका के तृणमूल पार्षद व एमएमआइसी सुधीर साहा एक मानहानि मामले में सिलीगुड़ी अदालत में पेश हुए जहां से बाद में उन्हें जमानत दे दी गयी. उनपर अदालत की अवमानना का आरोप है. कई बार नोटिस देने के बाद भी वह अदालत में नहीं हुए. उसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी […]

सिलीगुड़ी. विधान नगर नगरपालिका के तृणमूल पार्षद व एमएमआइसी सुधीर साहा एक मानहानि मामले में सिलीगुड़ी अदालत में पेश हुए जहां से बाद में उन्हें जमानत दे दी गयी. उनपर अदालत की अवमानना का आरोप है. कई बार नोटिस देने के बाद भी वह अदालत में नहीं हुए. उसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया.

गिरफ्तारी वारंट निकलने के साथ ही श्री साहा ने यहां आत्म-समर्पण कर जमानत ले ली. सोमवार को सिलीगुड़ी जिला अदालत ने उन्हें दो हजार रूपये के बांड पर जमानत दी है. राज्य में सत्ताधारी पार्टी के नेता पर अदालत की अवमानना का आरोप लगने से राजनीतिक माहौल गरमा गया है.


उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में एक समाचार पत्र को दिये साक्षात्कार में विधान नगर नगरपालिका के 32 नंबर वार्ड पार्षद व एमएमआइसी सुधीर साहा ने केरल की एक निर्माण कंपनी को ब्लैक लिस्टेड बताया था. जबकि वह कंपनी सरकारी है. उनके इस बयान पर कंपनी ने कलकत्ता हाइ कोर्ट में मानहानि का मामला किया. इसके अलावा कंपनी ने सुधीर साहा के खिलाफ सिलीगुड़ी जिला अदालत में भी मानहानि का मामला दर्ज कराया. कंपनी के वकील अभ्रज्योति दास ने बताया कि मामला दर्ज होते ही अदालत ने 26 अप्रैल को उपस्थित होने के लिये एक समन जारी किया. लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए. फिर तीन मइ को उपस्थित होने के लिये अदालत ने एक समन जारी किया. उस दिन भी वह अनुपस्थित रहे. उनके वकील ने अदालत में कहा कि शारीरिक रुप से अस्वस्थ होने की वजह से वे अदालत में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं. जबकि तीन मइ को विधान नगर नगरपालिका की बोर्ड बैटक में सुधीर साहा उपस्थित थे. जिसका पुख्ता साक्ष्य मौजूद है. इसके बाद तीन तारीख को ही अदालत ने सुधीर साहा को गिरफ्तार करने का वारंट जारी किया. वारंट जारी होते ही वह अदालत में आत्म-समर्पण करने आये जहां से उन्हें जमानत दे दी गयी.

श्री दास ने बताया कि एक तो उन्होंने सरकारी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड बताया. इसके अतिरिक्त दो बार अदालत के निर्देश की अवहेलना की. उनके वकील ने अदालत को गुमराह करने की भी कोशिश की है. इसी वजह से मानहानि के साथ अदालत की अवमानना करने का आरोप भी लगाया गया है. इस संबंध में अदालत से विचार करने की अपील की गयी है.

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