शुक्रवार को पवन की मां गुंजा देवी और पूना की मां आशा देवी छह-सात महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर बालूरघाट चाइल्ड लाइन और होम प्रबंधन के पास पहुंचीं. उन्होंने प्रमाण के रूप में आधार कार्ड लिये हुए थे. उन्होंने बच्चों को वापस करने की मांग की, लेकिन चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ने दोनों को अभी होम में ही रखने का फैसला लिया है.
गुंजा देवी और आशा देवी ने बताया कि वे प्लास्टिक के सजावटी फूल तैयार करती हैं और पति व बच्चों के साथ एक दल के रूप में जगह-जगह घूमकर उन फूलों की बिक्री करती हैं. कुछ ज्यादा कमाई हो, इसके लिए वे लोग सात साल से ऊपर के लड़कों को भीख मांगने के लिए भेज देते हैं. दोनों महिलाओं ने कहा कि उनके बच्चे अशोक स्तंभ छपा जो आवेदन लेकर भीख मांग रहे थे, वह उन्होंने नहीं दिया है. पवन और पूना ने कहीं से खुद ही इसका जुगाड़ किया है. जीभ नहीं होने का जो अभिनय करते हैं, वह भी बच्चों ने खुद ही सीखा है. महिलाओं ने वादा किया कि वे कभी अपने बच्चों से भीख नहीं मंगवायेंगी और उन्हें स्कूल भेजेंगी.
चाइल्ड लाइन के जिला कोऑर्डिनेटर सूरज दास ने कहा कि गुरुवार रात को भी ये महिलाएं आयी थीं, लेकिन उन्हें लौटा दिया गया था. शुक्रवार को दोनों अपने दल की और महिलाओं तथा प्रमाण के रूप में आधार कार्ड लेकर आयीं. आधार कार्ड देखने से प्राथमिक तौर पर महिलाओं का दावा सही लगता है कि दोनों बच्चे उनकी संतान हैं. लेकिन बच्चों को वापस करने से पहले उनके पते आदि की जांच की जायेगी. आसनसोल स्थिति उनके गांव में आदमी भेजकर छानबीन की जायेगी. सबकुछ ठीक मिलने पर बच्चों को उनकी मांओं के हाथों में सौंप दिया जायेगा. अगर बच्चों से भिक्षा मंगवाने की कोशिश गयी, तो मां-बाप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.