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महिला और बाल तस्करी पर सेमिनार आयोजित

जलपाईगुड़ी. बाल व नारी तस्करों के खिलाफ पुलिस को पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी इस अपराध को लगाम लगाने में कामयाबी नहीं मिली है. कइ तस्करी का शिकार होने वाले बच्चों व लड़कियों को बचाकर वापस लाने के बाद भी परिवार के लोग उसे स्वीकार नहीं करते हैं. जिसकी वजह से पीड़ित फिर से […]

जलपाईगुड़ी. बाल व नारी तस्करों के खिलाफ पुलिस को पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी इस अपराध को लगाम लगाने में कामयाबी नहीं मिली है. कइ तस्करी का शिकार होने वाले बच्चों व लड़कियों को बचाकर वापस लाने के बाद भी परिवार के लोग उसे स्वीकार नहीं करते हैं. जिसकी वजह से पीड़ित फिर से उसी दलदल में चले जाते हैं. इसके अलावा इस संगीन जुर्म को अंजाम देने वालों को गिरफ्तार कर पुलिस उसे कानून के घेरे में तो ले लेती है लकिन कुछ दिन जेल में गुजारने के बाद उन्हें फिर से जमानत मिल जाती है.

इसी तरह से मानव तस्करी का यह गोरखधंधा लगातार जारी रहता है. सोमवार को जलपाईगुड़ी के सुभाष भवन में वोमेन्स इंटरलिंक नामक एक स्वयंसेवी संगठन की ओर से आयोजित सेमिनार में मानव तस्करी पर नियंत्रण लगाने को लेकर काफी बहस हुयी. इस सेमिनार में ग्राम पंचायत सदस्यों द्वारा अपने गांव में प्रवेश करने वाले नये लोगों और बाहर जाने वाले लोगों का पूरा ब्यौरा अपने पास रखने पर सहमति बनी . सेमिनार में उपस्थित पुलिस, एसएसबी, बीएसएफ व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस बात का समर्थन किया.


सेमिनार में विभिन्न संगठनों की ओर से मिले आंकड़े से साबित है कि ग्रामीण इलाकों से ऐसी तस्करी अधिक होती है. खेती, मजदूरी व छोटे-मोटे काम कर परिवार का पेट पालने में अभिभावक इतने व्यस्त होते हैं कि बच्चों का ध्यान नहीं रख पाते. वहीं दूसरी तरफ शहर से कोसों दूर ग्रामीण इलाकों के बच्चे इतने तेज भी नहीं होते हैं. उनके इसी भोलेपन का फायदा तस्कर उठाते हैं, नौकरी, रूपया और ऐशो आराम की जिंदगी का सपना दिखाकर अपने साथ ले जाते हैं. सभी इलाकों पर बराबर नजर बनाए रखना प्रशासन के लिये भी मुश्किल है. इसीलिय ग्राम पंचायत प्रधान तथा सदस्यों को भी जिम्मेदारी देने पर सहमति बनी. अपने इलाके में दाखिल होने वाले नये लोगों व बाहर जाने वालों पर निगरानी रखने से ही समस्या के सामाधान की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी. गांव से लड़की, महिला व बच्चों को उठा पाना तस्करों के लिये काफी मुश्किल होगा.

कानूनी सलाहकार कमेटी की सदस्य नीलांजना दे ने बताया कि तस्करों के हाथों से बचाये जाने के बाद कई मामलों में परिवार उसे स्वीकार नहीं करता है. फलस्वरूप पीड़ित फिर से तस्करों के हाथों में पड़ जाता है. दूसरी तरफ कानूनी प्रक्रिया में भी खामियां हैं. इसी वजह से गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद ही तस्करों को जमानत मिल जाती है. ऐसे भारतीय दंड विधान की धारा 370 के तहत तस्करों को सात से दस वर्ष तक कैद की सजा का प्रावधान है.

बीएसएफ रानीनगर के 61 बटालियन की ओर से के.एस. मोहंती ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच भी मानव तस्करी होती है लेकिन सीमा पर हम पूरी तरह से कड़ी निगरानी बनाये हुए हैं. एसएसबी के सहायक कमान्डेंट तपन कुमार दास ने बताया कि पिछले दो वर्षों में कुल 22 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अतिरिक्त 42 शिशु, महिला और लड़कियों को तस्करी होने से बचाया गया है. तस्करी को रोकने के लिये ग्रामवासियों को जीविका का आधार मुहैया कराना होगा. तस्कर नौकरी व रूपये का लालच देकर ही भोले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. मेटली थाना प्रभारी सी. हीरालाल ठाकुर ने बताया कि कई बार तस्करों के हाथ से बचाये जाने के बाद परिवार की सहमति होने की बात सामने आती है. इसके अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शियों का बयान एक ना होने की वजह से तस्करों को जमानत मिल जाती है. गांव में आने-जाने वालों का पूरा ब्यौरा मिलने से जांच में काफी सुविधा होगी.

वोमेन्स इंटरलिंक फेडरेशन की नयी अध्यक्ष रेणुका सिन्हा ने बताया कि मानव तस्करी को रोकने के लिये सभी की सहायता जरूरी है. तस्करों के हाथों से बचाये जाने वाले बालक, लड़की व महिलाओं के लिये रोजगार की व्यवस्था करनी होगी. रोजगार मूलक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी.

जिला समाज कल्याण अधिकारी पियूष साहा ने बताया कि तस्करों के टारगेट वाले इलाकों पर विशेष निगरानी रखनी होगी. मानव तस्करी को रोकने के लिये प्रशासन की ओर से सभी प्रकार की सहायता की जायेगी.

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