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उत्तर बंगाल में पर्यटन उद्योग बेपटरी

सिलीगुड़ी. नोटबंदी तथा कैशलेस भारत बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग को जोरदार धक्का लगा है. इसका असर ग्रीष्मकालीन मौसम तक बने रहने की संभावना जतायी जा रही है. इसके मद्देनजर पर्यटन उद्योग से जुड़े कारोबारी ही नहीं, बल्कि जीविकोपार्जन के लिए इस पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर […]

सिलीगुड़ी. नोटबंदी तथा कैशलेस भारत बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग को जोरदार धक्का लगा है. इसका असर ग्रीष्मकालीन मौसम तक बने रहने की संभावना जतायी जा रही है. इसके मद्देनजर पर्यटन उद्योग से जुड़े कारोबारी ही नहीं, बल्कि जीविकोपार्जन के लिए इस पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहनेवाले लाखों लोगों के माथे पर बल पड़ गया है. महीने भर की खराब स्थिति को लेकर पर्यटन क्षेत्र के वरिष्ठ सलाहकार राज बसु ने गहरी चिंता व्यक्त की है.

उन्होंने नोटबंदी के केवल 33 दिनों के अंदर ही इस शीतकालीन मौसम में उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग को 40 फीसदी से अधिक के नुकसान होने का दावा किया. जबकि बीते वर्ष इस समय तक तकरीबन 65 फीसदी कारोबार अधिक हुआ था.

श्री बसु ने कहा कि प्रत्येक वर्ष इस मौसम में उत्तर बंगाल का अधिकांश पर्यटन केंद्र एवं इससे जुड़े रिजार्ट, होटल, वाहन 95 फीसदी पहले से ही बुक रहती है. लेकिन इसबार आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद नये सिरे से बुकिंग नहीं हुई है. साथ ही हर वर्ष इस समय देशी-विदेशी सैलानी ग्रीष्मकालीन पर्यटन मौसम के लिए अग्रिम बुकिंग शुरू कर देते हैं जो इस बार अब-तक शुरू नहीं हुआ है.

अगर सिस्टम में सुधार नहीं हुआ तो कैशलेस सिस्टम की मार उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग पर कोई एक-दो महीने ही नहीं, बल्कि ग्रीष्मकाली पर्यटन मौसम तक पड़ने की संभावना है. भारत में आज भी मात्र पांच फीसदी लोग ही हैं वह भी हाइ सोसायटी के जो नगद में लेन-देन बहुत कम करते हैं. बड़े-बड़े शहरों,फाइव स्टार होटलों व मॉलों में ही ऑनलाइन पेमेंट सेवा एवं एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड के जरिये लेन-देन करने का चलन है. श्री बसु ने कहा कि उत्तर बंगाल का पर्यटन उद्योग सबसे अधिक ग्रामीण पर्यटन केंद्रों पर निर्भर है.

होम स्टे के लिए कारगर व्यवस्था नहीं : सान्याल

उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग और होम स्टे को विकसित करने के लिए पर्यटन से जुड़े कई सलाहकारों और विभिन्न संस्थाओं द्वारा वर्षों से काम किया जा रहा है. उत्तर बंगाल के ग्रामीण पर्यटन केंद्रों में देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षित करने हेतु होम स्टे को विकसित करने के लिए 2001 साल से प्रयास जारी है. लेकिन बीते 16 वर्षों के अथक प्रयास के बाद भी होम स्टे के लिए 1600 कमरों की व्यवस्था नहीं हो सकी है. यह कहना है उत्तर बंगाल के नामी टूर ऑपरेटर एवं टूर एंड ट्रैवल्स कारोबारियों के संगठन इस्टर्न हिमालयन टूर ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एथवा) के प्रवक्ता सम्राट सान्याल का .

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