सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी. चाय बागान श्रमिकों के पैसे की निकासी के लिए रिजर्व बैंक ने फारमूला तय कर दिया है. चाय बागान प्रति हेक्टेयर ढाई श्रमिकों के लिए हर पखवारे 1400 रुपये मजदूरी भुगतान के वास्ते निकाल पायेंगे. रिजर्व बैंक के इस निर्देश के बाद गुरुवार और शुक्रवार को जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जिले के बागानों ने बैंकों से पैसे निकाले. गुरुवार को इन दोनों जिलों में 31 चाय बागानों में मजदूरी का भुगतान किया गया. उल्लेखनीय है कि जलपाईगुड़ी में 90 और अलीपुरद्वार में 60 चाय बागान हैं.
दोनों जिलों के श्रमिक संगठनों और बागान मालिकों को हरेक श्रमिक का बैंक खाता खुलवाने और उसके जरिये भुगतान पर आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि अभी बैंकों में पैसा निकालने में जो दिक्कत आ रही है, उसमें काम कैसे होगा. बहुत से श्रमिक एटीएम का इस्तेमाल करना भी नहीं जानते. श्रमिकों और बागान मालिकों का कहना है कि क्या श्रमिक काम छोड़कर बैंकों में दिनभर लाइन लगायेंगे. पहले बैंकों की व्यवस्था सुधरे, इसके बाद बैंकों से श्रमिकों को भुगतान हो.
रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया है कि जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग और कूचबिहार के तीन सौ से अधिक चाय बागानों के श्रमिकों के खाते खुलवाये जायें. बागानों को स्थायी श्रमिकों का खाता खुलवाने के लिए उनके फोटो परिचय पत्र, आधार कार्ड आदि की कॉपी शुक्रवार से ही जमा करने को कहा गया है. खाता खुलने के बाद मजदूरी का भुगतान श्रमिकों के खाते में सीधे किया जायेगा. यह जानकारी जिला प्रशासन सूत्रों ने दी.
इस संबंध में सीटू के जिला सचिव जियाउर आलम ओर एनयूपीडब्ल्यू के राज्य संयुक्त सचिव मनि कुमार डार्नाल ने बताया कि अंगरेजों के जमाने से ही चाय बागान श्रमिक नकद मजदूरी लेते आ रहे हैं. बागान अपने खाते से पैसे निकालकर श्रमिकों को मजदूरी देते हैं. बहुत से श्रमिकों को बैंक के आम कामकाज की कोई समझ नहीं है, एटीएम तो दूर की बात है. इसके अलावा श्रमिक बागान में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक काम करते हैं. ऐसे में श्रमिकों को अपनी छुट्टी के दिन के अलावा बैंक जाकर पैसा निकालने में असुविधा होगी. बहुत से श्रमिकों को दूर स्थित बैंकों में आने-जाने में भी परेशानी होगी. स्लिप भरने और लाइन में लगने का झंझट अलग से. बहुत से बागान श्रमिकों को हस्ताक्षर करने नहीं आता. जो हस्ताक्षर तक करना नहीं जानता, वह अंगरेजी और बांग्ला में छपी स्लिप कैसे भर पायेगा. बागान में अभी मजदूरी केवल 132 रुपये रोजाना है. अभी देखा जाता है कि चाय श्रमिक मजदूरी कटने के डर से आंदोलनों, उद्योग बंदी आदि में हिस्सा नहीं लेते. उनके लिए एक दिन का वेतन भी गंवाना बड़ा बोझ है. ऐसी स्थिति में श्रमिक अपनी मजदूरी छोड़कर पैसा निकालने कैसे जायेंगे. इसके अलावा बागान मालिक भी पैसा निकालने के लिए छुट्टी नहीं देंगे. अभी जो हालात हैं, उनमें एक दिन में पैसा मिलना भी मुश्किल है.
आएनटीटीयूसी के जिला अध्यक्ष मिठू मंडल का कहना है कि चाय बागान इलाकों में बैंकिंग परिसेवा की स्थिति बहुत खराब है. एटीएम तो बहुत ही कम हैं. श्रमिक भी बैंक जाकर पैसा निकालने के अभ्यस्त नहीं हैं. ऐसे में, पहले बागान श्रमिकों को बैंकिंग परिसेवा के बारे में जागरूक किया जाये, उसके बाद खाता खुलवाने पर काम हो.
इंडियन टी प्लांटेशन एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार अमृतांशु चक्रवर्ती ने बताया कि जलपाईगुड़ी जिले के 90 चाय बागानों में करीब साढ़े तीन लाख श्रमिक हैं, जिनका खाता खुलवाना होगा. लेकिन इस बारे में जो निर्देशिका आयी है, वह पूरी तरह अवैज्ञानिक है. रिजर्व बैंक को पहले यह देखना चाहिए कि श्रमिक बैंकिंग परिसेवा के बारे में जानते-समझते हैं या नहीं. आज भी बागानों में बहुत से श्रमिक अंगूठा लगाकर मजदूरी लेते हैं.
अलीपुरद्वार- कूचबिहार जिला चाय मजदूर यूनियन के सचिव रवीन राई और आरएसपी के श्रमिक संगठन यूटीटीयूसी के डुवार्स सचिव गोपाल प्रधान ने भी कहा कि चाय बागान इलाके में बैंकिंग परिसेवा बहुत खराब है. श्रमिक इस बारे में कुछ नहीं जानते. बैंक खुद आकर खाता खोलें तो बेहतर होगा, पर ऐसा होने की उम्मीद नहीं है.
पश्चिम बंग चाय बागान मजदूर यूनियन के महासचिव अखिलबंधु सरकार का कहना है कि बहुत से श्रमिकों के पास 100 दिन काम योजना का बैंक खाता है. लेकिन श्रमिक इस खाते का संचालन दूसरों से करवाते हैं, क्योंकि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है. चाय बागान इलाके में बैंकिंग सेवा भी पर्याप्त नहीं है. पैसा निकालने के लिए श्रमिकों के लिए छुट्टी पाना भी मुश्किल है.