परमवीर चक्र विजेता ने इन शब्दों में कारगिल के ऑपरेशन विजय के अनुभव को साझा किया तो सभी रोमांचित हो गए.मौका था उत्तर बंगाल और सिक्किम में लोकप्रिय एफएम स्टेशन रेडियो मिष्टी 94.3 एफएम द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम का. सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि 28 मई 1999 को ऑपरेशन विजय शुरू हुआ और 13 जून को पहली सफलता मिली. जब हम अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे थे तो पता चला कि पाकिस्तानी सैनिक ऊंची चोटियों से हमला कर रहे हैं.रणनीति बनी कि सबसे पहले टाइगर हिल को कब्जे में लिया जाए, लेकिन वहां जाने के लिए 90 डिग्री की सीधी चढ़ाई थी. इसके बावजूद किसी ने हिम्मत नहीं हारी.दो जुलाई को कुछ जवानों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चढ़ाई शुरू की.
सुबह लगभग 11 बजे थे जब पाकिस्तानी सैनिक हमें देखने आए. हम पूरी तरह अलर्ट थे. हमने उन पर फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन उनका एक सैनिक बचकर भाग गया और दूसरे सैनिकों को हमारी पूरी जानकारी दे दी.आधे घंटे के अंदर ही 35-40 पाकिस्तानी सैनिकों ने वहां आकर हमला कर दिया. हमारे महत्वपूर्ण हथियार ध्वस्त हो गए. मेरे सामने दो साथी मारे गए. मैं जमीन पर लेट गया और मरने का दिखावा किया. इसके बाद भी पाकिस्तानी सैनिकों ने मुझ पर गोलियां बरसाइ.एक गोली हाथ में, दूसरी पैर में लगी। मैंने दर्द का घूंट पी लिया, क्योंकि हिलता तो मारा जाता.