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जर्मनी में बजा सिलीगुड़ी का डंका

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में कोलकाता के बाद दूसरे सबसे प्रमुख शहर का डंका सात समुंदर पार जर्मनी में भी बजने लगा है. सिलीगुड़ी तथा उत्तर बंगाल के जाने माने उद्योगपति कमल मित्तल ने जर्मनी की 110 साल पुरानी कंपनी रेलवन को खरीद लिया है.यही वजह है कि राज्य की मुख्यमंत्री पिछले दिनों जब निवेश को […]

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में कोलकाता के बाद दूसरे सबसे प्रमुख शहर का डंका सात समुंदर पार जर्मनी में भी बजने लगा है. सिलीगुड़ी तथा उत्तर बंगाल के जाने माने उद्योगपति कमल मित्तल ने जर्मनी की 110 साल पुरानी कंपनी रेलवन को खरीद लिया है.यही वजह है कि राज्य की मुख्यमंत्री पिछले दिनों जब निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकारी दौरे पर जमर्नी जा रही थीं तो उस दौरे में कमल मित्तल को भी शामिल कर लिया.

यह पहली बार हुआ जब सिलीगुड़ी अथवा उत्तर बंगाल कि किसी उद्योगपति को मुख्यमंत्री के सरकारी दौरे में शामिल किया गया. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी निवेश को लेकर कहीं जाती हैं तो अपने साथ उद्योगपतियों को भी ले जाती है.इस बार उन्होंनें जर्मनी दौरे के दौरान कमल मित्तल को भी शामिल किया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जर्मनी में कमल मित्तल की कंपनी रेलवन की मुख्यालय म्युनिख भी जाने वाली थीं,लेकिन समय के आभाव में वह नहीं जा सकीं.

अपने इस दौरे को लेकर श्री मित्तल ने बताया कि वहा ममता बनर्जी ने निवेश को लेकर उद्योगपतियों के साथ जो बैठकी की थीं,उसमें पह भी शामिल हुए. उन्होंने अन्य उद्योगपतियों तथा सरकारी अधिकारियों के साथ निवेश प्रस्ताव पर चरचा की. श्री मित्तल ने कहा कि जर्मनी के उद्योगपति राज्य में खासकर उत्तर बंगाल में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं. कइ उद्योगपतियों ने अपना निवेश प्रस्ताव मुख्यमंत्री को सौंपा है. आने वाले दिनों में जर्मनी के काफी उद्योगपति उत्तर बंगाल का रूख करेंगे.श्री मित्तल ने बगैर किसी सरकार का नाम लेते हुए कहा कि अबतक उत्तर बंगाल की उपेक्षा होती रही थी. विकास और उद्योग कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों तक ही सीमित थे.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद स्थिति पूरी तरह से बदल गयी है. वह पूरे राज्य का विकास करना चाहती हैं और ओर कल कारखानों की स्थापना करना चाहती हैं.

इसमें उत्तर बंगाल का नाम भी शामिल है. श्री मित्तल ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में उत्तर बंगाल का कूचबिहार प्रमुख औद्योगिक हब के रूप में उभरेगा. यहां उद्योग लगाने के लिए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने कइ प्रकार के सब्सिडी की घोषणा की है.एक प्रश्न के उत्तर में श्री मित्तल ने कहा कि निवेश एक सतत प्रक्रिया है. ऐसा नहीं है कि एक बार कहीं गये,उद्योगपतियों से बैठक कर ली और निवेश आ गया. इस प्रक्रिया को लगातार चलाना जरूरी है.उन्होंने कहा कि जर्मनी के उद्योगपतियों के साथ बैठक में वह शामिल थे और वहां के उद्योगपति पश्चिम बंगाल में निवेश को लेकर काफी गंभीर दिखे.जर्मनी के लोगों ने काफी समय तक मुख्यमंत्री के आने का इंतजार किया. वहां के लोग एक मिनट के लिए भी किसी का इंतजार नहीं करते.

ममता उद्योग विरोधी नहीं

श्री मित्तल ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उद्योग विरोधी नहीं रही हैं. वह तो हर कीमत पर उद्योग और कल कारखानों की स्थापना करना चाहती हैं. राज्य में अभी किसी भी उद्योगपति को कल कारखाने की स्थापना में कोइ परेशानी नहीं होती.मुख्यमंत्री की सक्रियता से राज्य के अन्य मंत्री और अधिकारी भी सक्रिय हैं.श्री मित्तल ने कहा कि सिंगूर आंदोलन के बाद ममता को उद्योग विरोधी बताया गया,जो सही नहीं है. ममता बनर्जी उद्योग विरोधी नहीं अपितु जोर जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण का विरोधी रही हैं. सिंगूर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी यह स्पष्ट हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सिंगूर में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को गलत बताया है.

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