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सियासी दावं: अंतिम क्षणों में प्रतुल चक्रवर्ती से आगे निकल गये गौतम देव, क्या है अंदर की कहानी
सिलीगुड़ी:राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव को तृणमूल कांग्रेस ने सिलीगुड़ी में पार्टी की स्थिति सुधारने की जिम्मेदारी दे दी है और उन्हें जिला अध्यक्ष बना दिया गया है. हालांकि वास्तविक स्थिति यह है कि जिला अध्यक्ष के रेस में गौतम देव दूर-दूर तक नहीं थे. मुख्य मुकाबला प्रतुल चक्रवर्ती, नान्टू पाल तथा मदन भट्टाचार्य […]
सिलीगुड़ी:राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव को तृणमूल कांग्रेस ने सिलीगुड़ी में पार्टी की स्थिति सुधारने की जिम्मेदारी दे दी है और उन्हें जिला अध्यक्ष बना दिया गया है. हालांकि वास्तविक स्थिति यह है कि जिला अध्यक्ष के रेस में गौतम देव दूर-दूर तक नहीं थे. मुख्य मुकाबला प्रतुल चक्रवर्ती, नान्टू पाल तथा मदन भट्टाचार्य के बीच था. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी अपने उत्तर बंगाल दौरे के दौरान ही सिलीगुड़ी में पार्टी के भविष्य को लेकर आवश्यक निर्णय लेने का मन बना चुकी थी.
अलीपुरद्वार जिले से 28 तारीख को सिलीगुड़ी लौटने के बाद ही जिला अध्यक्ष को लेकर मंथन का दौर शुरू हो चुका था. जिला अध्यक्ष तय करने की जिम्मेदारी दार्जिलिंग जिले के पार्टी प्रभारी अरुप विश्वास को सौंपी गई थी. पार्टी सूत्रों ने बताया कि स्थानीय तृणमूल नेता ममता बनर्जी से मिलकर पूरी रणनीति तय करना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने किसी को भी मिलने का समय नहीं दिया. सिलीगुड़ी नगर निगम में विरोधी दल के नेता नान्टू पाल और कृष्णचन्द्र पाल 29 तारीख को भी उत्तरकन्या का चक्कर काट रहे थे. तमाम कोशिशों के बावजूद यह लोग ममता बनर्जी से नहीं मिल सके.
सूत्रों ने आगे बताया कि जिला अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर ममता बनर्जी ने किसी भी स्थानीय नेता से बात नहीं की. मुख्य रूप से ममता बनर्जी के साथ अरुप विश्वास तथा बाइचुंग भुटिया की ही बैठक हुई. सूत्रों ने बताया कि कुछ देर तक बाइचुंग भुटिया भी जिला अध्यक्ष बनने की रेस में थे. लेकिन इसके लिए उन्होंने अरुप विश्वास के सामने कई शर्ते रख दी. माना जाता है कि इन्हीं शर्तों की वजह से उन्हें जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया. सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी कार्य करने वाले सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग बाइचुंग भुटिया कर रहे थे.
उनके निशाने पर पूर्व जिला अध्यक्ष रंजन सरकार तथा कृष्णचन्द्र पाल आदि नेता थे. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ कर बाइचुंग भुटिया माकपा उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य से हार चुके हैं. उसके बाद ही वह तृणमूल के ही कुछ नेताओं के खिलाफ भड़के हुए हैं. उन्होंने कहा भी था कि सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन तृणमूल पार्षदों के वार्ड में ही उन्हें कम मत हासिल हुआ है. चुनाव से पहले भी सहयोग नहीं करने वाले नेताओं को उन्होंने धमकी देते हुए कहा था कि यदि वह चुनाव हारते हैं तो जिले में किसी भी नेता की कुर्सी नहीं बचेगी. सूत्रों ने कहा कि बाइचुंग भुटिया ने अरुप विश्वास को ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की शर्त रख दी. इस संदेश को लेकर अरुप विश्वास ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे. ममता बनर्जी ने इन शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया. कहते हैं कि बाइचुंग भुटिया द्वारा इस प्रकार की शर्ते रखने से ममता बनर्जी थोड़ी नाराज भी हो गईं. इसके साथ ही बाइचुंग भुटिया रेस से बाहर हो गये.
हालांकि उनसे जिला अध्यक्ष पद के लिए किसी और का नाम सुझाने के लिए कहा गया था. विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता प्रतुल चक्रवर्ती ने बाइचुंग भुटिया की काफी मदद की थी. श्री भुटिया ने प्रतुल चक्रवर्ती का नाम सुझाया. सूत्रों ने कहा कि प्रतुल चक्रवर्ती के नाम पर करीब-करीब सहमति बन गई थी, लेकिन उनकी उम्र अधिक होने की वजह से वह जिला अध्यक्ष बनते-बनते रह गये.
अंतिम समय में अरुप विश्वास ने एक बार फिर से गौतम देव को ही जिला अध्यक्ष बनाये जाने का प्रस्ताव ममता बनर्जी के सामने रखा. तर्क यह दिया गया कि सिलीगुड़ी में माकपा के कद्दावर नेता अशोक भट्टाचार्य को चुनौती देने के लिए किसी कद्दावर नेता की ही आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे में गौतम देव ही जिले में उस कद के नेता हैं जो अशोक भट्टाचार्य को चुनौती दे सकते हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि अरुप विश्वास का तर्क सुनने के बाद ममता बनर्जी भी गौतम देव के नाम पर सहमत हो गईं. उसके बाद ही दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के लिए अलग तथ समतल क्षेत्र के लिए अलग जिला अध्यक्ष बनाने का निर्णय हुआ.
राजेन मुखिया पहाड़ के तथा गौतम देव समतल के अध्यक्ष बना दिये गये. पार्टी के जिला प्रभारी अरुप विश्वास का साफ-साफ कहना है कि रंजन सरकार के नेतृत्व में जिले में तृणमूल कांग्रेस की दुगर्ति हुई है. इस वजह से उन्हें हटाकर गौतम देव को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. श्री देव राजनीतिक के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और पार्टी को उम्मीद है कि वह तृणमूल कांग्रेस को जिले में नई ऊंचाइयों को ले जायेंगे. दूसरी तरफ बाइचुंग भुटिया तथा प्रतुल चक्रवर्ती के साथ ही जिला स्तर के कोई भी तृणमूल नेता इस मामले में कुछ भी कहना नहीं चाहते. काफी पूछने के बाद प्रतुल चक्रवर्ती ने संवाददाताओं को बताया कि वह तृणमूल कांग्रेस के सिपाही हैं और पार्टी के भले के लिए आगे भी एक सिपाही की तरह ही काम करते रहेंगे.
क्या है मामला
यहां उल्लेखनीय है कि पूरे राज्य में तृणमूल कांग्रेस का डंका बजने के बाद भी दार्जिलिंग जिले में पार्टी की स्थिति काफी खराब है. पिछले एक साल के दौरान हुए सभी चुनावों में यहां तृणमूल कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. पहले गौतम देव ही जिला अध्यक्ष थे. करीब एक वर्ष पहले सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की हार के बाद उन्हें इस पद से हटाकर रंजन सरकार को जिला अध्यक्ष बनाया गया था. उसके बाद भी पार्टी की स्थिति नहीं सुधरी. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के साथ ही विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल की हार हुई. सिलीगुड़ी महकमा के तीनों सीटों पर विरोधियों का कब्जा हुआ. स्वाभाविक तौर पर ममता बनर्जी ने एक बार फिर से राजनीति के माहिर खिलाड़ी गौतम देव पर भरोसा जताया है और उन्हें जिला अध्यक्ष बना दिया है.
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