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सिलीगुड़ी में धड़ल्ले चल रहा है अवैध निर्माण का काम
राजनीतिक कारणों से नकेल कसने में परेशानी, महानंद तट के दोनों ओर जारी अवैध कब्जा अवैध खनन पर पर्यावरणविदों ने भी जतायी चिंता नदी बचाओ,शहर बचाओ अभियान शीघ्र सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर में अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है. सिलीगुड़ी नगर निगम की वाम बोर्ड पर इस पर नकेल कसने पर पूरी तरह नाकामयाब साबित […]
राजनीतिक कारणों से नकेल कसने में परेशानी, महानंद तट के दोनों ओर जारी अवैध कब्जा
अवैध खनन पर पर्यावरणविदों ने भी जतायी चिंता
नदी बचाओ,शहर बचाओ अभियान शीघ्र
सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर में अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है. सिलीगुड़ी नगर निगम की वाम बोर्ड पर इस पर नकेल कसने पर पूरी तरह नाकामयाब साबित हो रही है. शहर के पॉश इलाके हों या फिर बस्ती इलाका हर जगह अवैध निर्माण खुलेआम हो रहा है. यहां तक की लोगों ने अपने भौतिक सुखों के लिए महानंदा नदी तक को भी नहीं छोड़ा. शहर के ह्रदय स्थल (हॉर्ट ऑप सिटी) से बहनेवाली महानंदा सेतु का निचला सतह इन दिनों अवैध पक्के मकानों के लिए छत के रूप में इस्तेमाल हो रहा है.
आरोप है कि राजनैतिक पार्टियों के स्थानीय जनप्रतिनिधि और दबंग नेताओं के बलबूते शहर में अवैध निर्माण अरसे से जारी है. ऐसा नहीं है कि निगम की वर्तमान बोर्ड अवैध निर्माण को लेकर पूरी तरह उदासीन बैठी पड़ी है. निगम की बोर्ड मीटिंग में प्रायः ही विरोधी अवैध निर्माण को मुद्दा बनाते हैं और हंगामा भी खड़ा करते हैं.
इस दौरान विरोधियों और बोर्ड सदस्यों के बीच जमकर बहस भी होती है. लेकिन जब निगम अवैध निर्माणों के विरूद्ध मुहिम छेड़ती है तभी विरोधियों द्वारा राजनीति भी शुरू कर देती है. नतीजा अवैध निर्माणों को धराशायी करने से पहले ही निगम के अधिकारी व इंजीनियरों को बंगाल की सत्ताधारी राजनैतिक पार्टी के दबाव के वजह से बैरंग लौट आना पड़ता है. निगम में वाम बोर्ड के एक वर्ष के दौरान कई बार मुहिम छेड़ी गयी, लेकिन हर बार ही मुहिम पर राजनीति रोड़ा बन कर खड़ी हो गयी.
इस प्रकार के अवैध निर्माण को लेकर पर्यावरणविद जहां काफी चिंतित नजर आ रहे हैं वहीं, राजनेताओं को इससे कोई लेना-देना है. पर्यावरणविदों का कहना है कि नदी किनारे अवैध निर्माणों व अवैध खननों से केवल इंसान या पूरा शहर ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी संकट है. प्रकति के साथ खिलवाड़ करना बड़ी आपदा को निमंत्रण देना है. शहर को प्राकतिक आपदाओं से बचाने व प्रदूषण मुक्त शहर बनाने के लिए कई पर्यावरण प्रेमियों ने मिलकर एक नया संगठन ‘सिटीजन फोरम फॉर सिलीगुड़ी इंवायरनमेंट’ गठित किया गया है. जल्द ही यह संगठन ‘नदी बचाओ, शहर बचाओ, प्रदूषण मुक्त शहर गढ़ने’ की मुहिम छेड़ने जा रहा है.
क्या कहना है तृकां नेता नांटू पाल का : निगम में विरोधी दल के तणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता नांटू पाल का कहना है कि केवल शहर ही नहीं, पूरे बंगाल में जबरन दखल और अवैध निर्माण 34 वर्ष की वाम सरकार की देन है. शहर, महानंदा नदी के अलावा अन्य नदियों के किनारे भी खटाल, अवैध खनन व अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है. निगम में वाम बोर्ड की एक साल के कार्यकाल के दौरान खुलेआम अवैध निर्माण हुए, जिसका तकां के पार्षदों ने बोर्ड मीटिंग में विरोध किया और खूब आवाज भी उठायी, लेकिन आजतक कोई कार्रवायी नहीं हुई. श्री पाल ने कहा कि एक वर्ष की वाम बोर्ड केवल अवैध निर्माण ही नहीं, बल्कि हर मोरचे पर नाकाम साबित हुई है.
क्या कहना है पर्यावरणविदों का: सिटीजन फोरम फॉर सिलीगुड़ी इंवायरनमेंट नामक संगठन के संयुक्त संयोजक दुर्गा साहा का कहना है कि शहर हो या फिर नदी किनारा कहीं भी जबरन दखल, अवैध निर्माण, अवैध खनन यह सभी काफी चिंता का विषय है. इसे लेकर आम हो या खास सभी को जागरूक होने की जरूरत है.
अन्यथा बड़ी आपदा से जुझने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना पड़ेगा. श्री साहा ने कहा कि नदी बचाने व पर्यावरण को लेकर संगठन जल्द ही एक मुहिम छेड़ने जा रही है. इसके लिए भावी रणनीति बनायी जा रही है. इस मुहिम से पर्यावरणविदों, वन्य-प्राणी प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शासन-प्रशासन के अलावा आम लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
क्या कहना है नैफ का : पर्यावरण को लेकर काफी अर्से से काम कर रही संस्था हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के अध्यक्ष अनिमेष बसु का कहना है कि पूरे शहर के अलावा नदी किनारे अवैध निर्माण व अवैध खनन राजनैतिक देन है.
राजनैतिक फायदे के लिए नदी किनारे पक्के मकान बनाने के लिए प्लान पास हो जाता है, घरों में बिजली-पानी तक पहुंच जाती है, नदियों में धड़ल्ले से अवैध खनन होता है, हाइड्रेन, फुटपाथों पर अवैध दुकानों को ट्रेड लाइसेंस मिल जाता है. जो बहुत बड़ी समस्या है. सबसे पहले राजनीति दूर करने की जरूरत है. प्रकृति के साथ राजनीति का खिलवाड़ है, इसका खामियाजा एक दिन हम सभी को भुगतना पड़ेगा.
क्या कहना है डिप्टी मेयर का : निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य व बिल्डिंग विभाग के मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) नुरूल इस्लाम से संपर्क न होने पर डिप्टी मेयर रामभजन महतो से संपर्क किया गया. श्री महतो ने विरोधियों पर पलटवार करते हुए कहा कि शहर में जबरन दखल और अवैध निर्माण निगम में वाम बोर्ड के गठन से पहले तृकां बोर्ड की देन है.
तृकां की बोर्ड के दौरान शहर में कुकुरमुते की तरह अवैध निर्माण और जबरन दखल हुए. इसका खामियाजा निगमकी वर्तमान वाम बोर्ड को भुगतना पड़ रहा है. शहर या नदी कहीं भी वाम बोर्ड जबरन दखल, अवैध निर्माण व अवैध खनन बर्दाश्त नहीं करेगी. इसे लेकर निगम जल्द ही सिंचाई विभाग, अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों, इंजीनियरों के साथ मीटिंग करेगी. इनके विरूद्ध में कड़ी कार्रवायी करेगी.
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