मालदा: आने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन तय मानकर मालदा में कांग्रेस एवं माकपा नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. दोनों ही पार्टियों के नेता सीटों के बंटवारे को लेकर आपस में बातचीत करने लगे हैं. मालदा जिले में विधानसभा की कुल 12 सीटें हैं. किसके खाते में कितनी सीटें आयेंगी और कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर भी आम लोगों में भारी उत्सुकता है.
दोनों ही दलों के नेताओं का कहना है कि सीटों के बंटवारे को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी. दक्षिण मालदा के कांग्रेस सांसद अबु हासेम खान चौधरी का कहना है कि गठबंधन को लेकर वह किसी भी प्रकार का बलिदान देने के लिए तैयार हैं. माकपा के जिला सचिव अंबर मित्र ने भी कहा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं होगी.
वह सभी लोग तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाने का लक्ष्य लेकर आगे चल रहे हैं. वाम मोरचा के घटक दल ही नहीं, बल्कि कांग्रेस का भी यही लक्ष्य है. वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में 12 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस को मात्र एक सीट पर जीत मिली थी. मानिकचक विधानसभा केन्द्र से सावित्री मित्रा जीतने में सफल रही थीं. बाद में इंगलिश बाजार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कृष्णेन्दू चौधरी ने इस्तीफा दे दिया और वह उसी सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में सफल रहे. वर्तमान में दोनों ही मंत्री हैं. इसके अलावा जिले के तीन और विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़ दी, लेकिन विधायक पद पर बने रहे. गाजोल से सुशील राय, सुजापुर से अबु नासेर खान चौधरी एवं हरिश्चन्द्रपुर से तजमुल हुसैन विधायक हैं.
इनमें से सुशील राय तथा अबु नासेर खान चौधरी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. बाद में दोनों ने अपनी पार्टी छोड़ दी. इसी तरह से तजमुल हुसैन फारवर्ड ब्लॉक के विधायक थे और बाद में उन्होंने भी पार्टी छोड़ दी. यह तीनों विधायक अभी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. इस तरह से जिले की कुल सीटों में से पांच सीटों पर वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. बाकी सात विधानसभा सीटों में से एक पर आरएसपी, एक पर माकपा तथा पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. जिले के रतुआ, चांचल, वैष्णव नगर, ओल्ड मालदा तथा मोथाबाड़ी सीट कांग्रेस के कब्जे में है. हबीबपुर एवं मालतीपुर पर वाम मोरचा का कब्जा है. सीटों के बंटवारे को लेकर जिला सचिव अंबर मित्र का कहना है कि वाम मोरचा में इस बात की चरचा चल रही है. राज्य कमेटी का जो भी निर्णय होगा, उसे जिले के सभी नेता मानेंगे. इसको लेकर स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि मालदा में विधानसभा का चुनाव अलग तरीके से हो रहा है. लोकसभा चुनाव के साथ इसकी तुलना नहीं की जा सकती. लोकसभा चुनाव में मतदान गणिखान परिवार को देखकर होता है. वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन की हवा थी, जिसकी वजह से कांग्रेस को यहां बड़ी सफलता मिली थी. उसके बाद यहां पंचायत एवं नगरपालिका चुनाव हुआ है. इसमें वाम मोरचा उम्मीदवारों को ही अधिक सफलता मिली है. श्री मित्रा ने आगे कहा कि मालदा जिला परिषद के 38 सीटों में से 16 पर वाम मोरचा एवं कांग्रेस का कब्जा है. छह सीटों पर ही तृणमूल का कब्जा है. अन्य सीटों पर जो निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं वह भी वाम मोरचा के समर्थन से ही जीते हैं. इसी तरह से पंचायत समिति की 15 सीटों में से दस सीटों पर वाम मोरचा का कब्जा है. इसको देखते हुए वह छह से सात सीट तो विधानसभा चुनाव में ले ही सकते हैं.
कैसे बनेगी बात
हालांकि उन्होंने साफ-साफ कुछ भी नहीं कहा. इस बीच, पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गाजोल, हबीबपुर, हरिश्चन्द्रपुर, मालतीपुर, इंगलिश बाजार एवं मानिकचक कुछ छह विधानसभा सीटों पर वाम मोरचा ने दावा ठोकने की तैयारी कर ली है. कांग्रेस यदि वैष्ण सीट पर चुनाव नहीं लड़ती है, तो यहां से माकपा का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा. कहा जा सकता है कि सात-पांच फार्मूले पर यहां सीटों के बंटवारे की तैयारी की जा रही है. अब देखना यह है कि कांग्रेस नेता कितनी सीटों पर दावा ठोकते हैं.
क्या कहते हैं कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता अबु हासेम खान का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आठ सीटों पर जीती थी. बाद में इंगलिश बाजार सीट पर उप-चुनाव हुआ. यहां से तृणमूल के कृष्णेन्दू चौधरी जीते. कहा जाये तो 12 सीटों में से अभी भी सात सीटों पर एक तरह से कांग्रेस का ही कब्जा है. वह लोग हरिश्चन्द्रपुर सीट पर भी वाम मोरचा से मांगेंगे. अभी यहां से फारवर्ड ब्लॉक के विधायक हैं, जो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. उन्होंने भी साफ-साफ कहा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी.