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आखिरकार बिकेगा डिमडिमा चाय बागान
टी बोर्ड ने जारी किया टेंडर,श्रमिकों में खुशी की लहर डंकन्स के अन्य बागानों को बेचना संभव नहीं जलपाईगुड़ी : डकन्स ग्रुप ने डुआर्स के बीरपाड़ा स्थित डिमडिमा चाय बागान को बेचकर अपने सभी श्रमिकों का बकाया भुगतान करने का निर्णय लिया है. इसबीच, डिमडिमा चाय बागान को बेचने का निर्णय तो डकन्स ने कर […]
टी बोर्ड ने जारी किया टेंडर,श्रमिकों में खुशी की लहर
डंकन्स के अन्य बागानों को बेचना संभव नहीं
जलपाईगुड़ी : डकन्स ग्रुप ने डुआर्स के बीरपाड़ा स्थित डिमडिमा चाय बागान को बेचकर अपने सभी श्रमिकों का बकाया भुगतान करने का निर्णय लिया है. इसबीच, डिमडिमा चाय बागान को बेचने का निर्णय तो डकन्स ने कर लिया है लेकिन आज तक अधिकारिक रूप से बागान को बंद करने की घोषणा नहीं की गयी है.
वैसे तो डकन्स ग्रुप के सभी चाय बागानों की हालत खराब है़ काम ना होने की वजह से बागान श्रमिक काफी जिल्लतों का सामना कर रहे हैं. डिमडिमा चाय बागान की भी स्थिति काफी खराब है. अब भारतीय टी बोर्ड इसे अन्य किसी मालिक को सौंप कर स्थिति को स्वाभाविक कराना चाहती है. इसी मकसद से टी बोर्ड ने इसे बेचने के लिये कदम आगे बढ़ाया है. चाय बागान को बेचने के लिये टी बोर्ड ने 12 फरवरी को टेंडर जारी कर दिया है.
इधर, पिछले दस महीनों से डिमडिमा चाय बागान ठप है़ श्रमिकों की हालत काफी खराब है़ यहां के श्रमिक काफी कठिन दौर से गुजर रहे हैं. प्रत्येक श्रमिकों के घर में खाने के लिये हाहाकार मचा हुआ है. चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में बहुत से श्रमिक बीमार पड़े हुए हैं. श्रमिकों के घर झोपड़ी में तब्दील हो गये हैं.
डिमडिमा चाय बागान के सभी क्वार्टरों की अवस्था काफी खराब हो चली है, श्रमिक लाइन से लेकर न्यू लाइन तक के बागानों के क्वार्टर जर्जर हैं. श्रमिक अनिल उरांव जिस क्वार्टर में रहता है,वहां एक कोने से कुत्ता घुस कर दूसरे कोने से निकल जाता है. अनिल उरांव अपनी पत्नी सहित पांच बच्चों के साथ उसी क्वार्टर में दिन गुजार रहा है. डिमडिमा चाय बागान के अधिकांश श्रमिक नदी में पत्थर तोड़ कर किसी प्रकार अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
न्यू लाइन के 60 वर्षीय एक वृद्ध श्रमिक श्रमिक की शारीरिक अवस्था काफी खराब हो चली है़ वह चल फिर भी नहीं सकते. बागान ठप होने के बाद भी डकन्स ग्रुप उन्हें उनके कार्य से अवकाश नहीं दे रही है. श्रमिकों का आरोप है कि रिटायरमेंट देने पर पीएफ एवं अन्य लाभ देने से बचने के लिए रिटायर कर्मचारी को भी सेवानिवृत नहीं किया जा रहा है.
बागान में चिकित्सा व्यवस्था नहीं है, यहां तक कि एंबुलेंस सेवा भी नहीं है. अस्पताल जाने के लिये श्रमिकों को अपने खर्च पर गाड़ी भाड़ा करना पड़ता है. इधर,बागान बेचने की जो कवायद शुरू हुई है, इससे श्रमिक खुश नजर आ रहे हैं. श्रमिकों का कहना है कि डंकन्स कंपनी ठीक तरह से बागान नहीं चला पा रही है.
श्रमिकों का वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी, राशन आदि काफी दिनों से बाकी है. पिछले दस महीने से बागान में काम ठप है. नदी में पत्थर तोड़ कर श्रमिक अपना व अपने परिवार के लिये किसी तरह से एक वक्त का भोजन जुटा पा रहे हैं. नये मालिक बागान को स्वाभाविक रूप से चलायेंगे, इसी आस पर श्रमिकों के मुंह पर मुस्कान देखने को मिल रही है.
इसी बागान को बेच पाना संभव
डिमडिमा चाय बागान शांतिपुर टी कंपनी प्रा लि के नाम है़ यह कंपनी टी बोर्ड के अधीन है़
इसी वजह से टी बोर्ड सिर्फ इसी बागान को बेच सकती है़ अन्य बागान केंद्र के बीआइएफआर के अधीन है जिसे टी बोर्ड नहीं बेच सकती. डंकन्स के अधीन अन्य बीआइएफआर चाय बागानों को बेचने के लिये भारतीय टी बोर्ड के अधीन लाना होगा. बागान बिकने की खबर फैलते ही श्रमिकों के मुहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गयी है. 12 फरवरी को टी बोर्ड ने डिमडिमा चाय बागान को बेचने के लिये टेंडर जारी किया है.
इसी बागान को बेच पाना संभव
डिमडिमा चाय बागान शांतिपुर टी कंपनी प्रा लि के नाम है़ यह कंपनी टी बोर्ड के अधीन है़ इसी वजह से टी बोर्ड सिर्फ इसी बागान को बेच सकती है़ अन्य बागान केंद्र के बीआइएफआर के अधीन है जिसे टी बोर्ड नहीं बेच सकती. डंकन्स के अधीन अन्य बीआइएफआर चाय बागानों को बेचने के लिये भारतीय टी बोर्ड के अधीन लाना होगा. बागान बिकने की खबर फैलते ही श्रमिकों के मुहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गयी है. 12 फरवरी को टी बोर्ड ने डिमडिमा चाय बागान को बेचने के लिये टेंडर जारी किया है.
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