सिलीगुड़ी: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंध को अनैतिक और जुर्म कह दिया, लेकिन वह मौलिक अधिकार की धारा 14, 15,19 और 21 को भूल गया, जो व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रता की वकालत करता है. सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. यह कहना है नॉर्दन ब्लैक रोज सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर शिलादित्य घोष का. वह धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंध को अपराध घोषित किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे.
प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने बाबा रामदेव के उस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बाबा रामदेव गलत संदेश दे रहे हैं कि समलैंगिकता एक बीमारी है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि यह बीमारी नहीं, बल्कि यह हार्मोनिक कारणों से मनोभाव पर असर डालता है.
शिलादित्य ने कहा यह केवल जिस्म का नहीं, दिल का संबंध है. हमें आजादी है कि हम जिसके साथ भी रहें. अप्रकाृतिक संबंध तो विपरीत लिंग में भी देखा जाता है. उन्होंने आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आंदोलन करेंगे. स्वयंसेवी संगठन उत्तरायण, मैत्री, नतून आलो,, नवदिंगत आदि संगठन इस आंदोलन में भाग लेंगे. कल इस पर बैठक करेंगे.