श्री घोष द्वारा आज ही उपाध्यक्ष पद का इस्तीफा जिलाध्यक्ष गौतम देव को भेजा दिया गया है. अचानक पार्टी छोड़ने की वजह श्री घोष ने बताया कि ममता की मां-माटी-मानुष की सरकार अपने नीति-सिद्धांतों से पथभ्रष्ट हो गयी है. पार्टी केवल भ्रष्ट व बाहुबली नेता-मंत्रियों की पार्टी हो गयी है. गुटबाजी की कोई सीमा नहीं रही. पार्टी अंतरद्वंद से ही छलनी हो रही है. इतना ही नहीं जो नेता या कार्यकर्ता नैतिकता या जनता के भले की सोचता है उसे कार्य करने नहीं दिया जाता. उन्हें तरह-तरह से अपमान किया जाता है. अच्छे नेता व पार्टी के लिए काम करनेवालों की पार्टी में कोई जगह नहीं है. इसका जीता-जागता उदाहरण वरिष्ठ नेता मुकुल राय का है.
जिस तरह उन्हें पार्टी से निकाल कर बाहर फेंक दिया गया, ऐसा करना कदापी उचित नहीं था. श्री राय पार्टी के केवल केंद्रीय कमेटी के महासचिव ही नहीं, बल्कि पार्टी के जनक व पार्टी के नींव थे. मुकुल की तरफदारी किये जाने पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 2013 साल के तीन जुलाई को गौतम के एक फोन कॉल पर वह संध्या समय तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी व मुकुल राय से स्थानीय एनपीसी बांग्लों में मुलाकात की और मुलाकात काफी सौहार्द एवं अच्छे माहौल में हुआ. इस मुलाकात के दूसरे दिन ही वह सीपीआई छोड़कर मुकुल व गौतम के नेतृत्व में तृणमूल का दामन थाम लिया. तृणमूल में शामिल होने का सबसे प्रमुख श्रेय मुकुल को ही जाता है. तब-तक पार्टी भी ममता के नेतृत्व में अच्छे पथ पर चल रही थी लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया पार्टी के काले नेताओं का असली चेहरा सबके सामने आ गया. इन हालातों के मद्देनजर पार्टी में बना रहना मेरा स्वाभिमान मुङो धिक्कार रहा था.
किसी के दबाव या किसी के भड़काने पर मैंने पार्टी नहीं छोड़ी बल्की यह मेरा खुद का फैसला है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिला कमेटी से भी उनको कोई शिकायत नहीं है अगर ऐसा होता तो वह इस्तीफा पत्र जिला अध्यक्ष को नहीं भेजते. वापस अपने पुराने घर सीपीआई या अन्य किसी पार्टी में जाने के सवाल पर कहा कि समय आने पर सब धीरे-धीरे खुलासा होगा. वहीं, श्री घोष के पार्टी छोड़ने पर तृणमूल खेमे में उथल-पुथल मच गयी है. नेता-कार्यकर्ता तरह-तरह के अटकलें लगा रहे हैं. इस बाबत तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव से कई बार उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन संपर्क नहीं हो सका.