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संगठित हुए उग्रवादी संगठन

सिलीगुड़ी: देश में चल रहे अलग राज्यों की मांग को लेकर अशांति के बीच उग्रवादी संगठन भी लाभ लेने की फिराक में हैं. मिली जानकारी के अनुसार असम व उत्तर बंगाल में सक्रिय सभी उग्रवादी संगठन एक ही मंच पर आने वाले हैं, जो सरकार के लिए बहुत ही बड़ी मुश्किल पैदा कर सकते हैं! […]

सिलीगुड़ी: देश में चल रहे अलग राज्यों की मांग को लेकर अशांति के बीच उग्रवादी संगठन भी लाभ लेने की फिराक में हैं. मिली जानकारी के अनुसार असम व उत्तर बंगाल में सक्रिय सभी उग्रवादी संगठन एक ही मंच पर आने वाले हैं, जो सरकार के लिए बहुत ही बड़ी मुश्किल पैदा कर सकते हैं! वैसे ही बंगाल में ‘गोरखालैंड’ व असम में ‘बोडोलैंड’ अलग राज्य के लिए आंदोलन तेज हो गया है.

इस बीच ही उग्रवादी संगठन अशांति फैला कर सरकार की मुस्किलें बढ़ा सकते है. उग्रवादी संगठनों में कामतापुर लिबरेशन आर्गनाइजेशन (केएलओ), युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), माओवादी नेपाल, नेशनल रिबोल्यूशनरी फ्रंट (टीएनआरएफ) , नेशनल सोशलिस्ट कांउसिल ऑफ नागालैंड इसार मुईया (एनएससीएन आइएम) इन सभी उग्रवादी संगठनों का सहयोग कर रहा है इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) जो पाकिस्तानी खुफियां एजेंसी हैं. यह सभी उग्रवादी संगठनों को पाकिस्तानी आइएसआई का पूरा सहयोग मिल रहा है.वह आर्थिक सहयोग हो या हथियार फिर से.

भारत में हिंसा फैलाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा हैं पाकिस्तान. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन उग्रवादी संगठनों का दबदबा पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर,उत्तर दिनाजपुर,कूचबिहार,जलपाईगुड़ी, मालदा, दार्जिलिंग व असम के कोकड़ाझार,बोगाईगांव , धबड़ी व गोलपाड़ा में है. इन इलाकों से ही उक्त उग्रवादी संगठन अपनी नयी नीति के तहत हिंसक घटनाओं को अांजाम देना शुरू करेंगे. केएलओ 28 दिसंबर 1995 में 60 सदस्यों के साथ उभर कर आया. आज 60 से बढ कर 300 से अधिक सदस्य हो गये हैं. इसे उत्तर बंगाल का सबसे बढा उग्रवादी संगठन माना जा रहा हैं. इसके सह पर ही अन्य उग्रवादी संगठन उत्तर बंगाल में सक्रिय होने जा रहे हैं.

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