आसनसोल : एटक से संबद्ध कोलियरी मजदूर सभा के महासचिव सह पूर्व सांसद आरसी सिंह ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषांगिक कोयला कंपनियों के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य इन कंपनियों का निजीकरण है और केंद्र सरकार की इस साजिश का यूनियन लगातार विरोध करेगी.
शनिवार को यूनियन के केंद्रीय कार्यालय में कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि श्रमिकों के सामने लगातार चुनौतियां बढ़ती जा रही है और यूनियनों को अपनी मूल धारणा को केंद्र कर आंदोलन विकसित करना होगा. अध्यक्षता यूनियन अध्यक्ष केवल सिंह ने की.
महासचिव श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 1990 में उदारवादी नीति लागू होने के बाद से ही कोयला उद्योग के निजीकरण की साजिश हो रही है. श्रमिकों व वामपंथी पार्टियों के विरोध के कारण सरकार को इसमें सफलता नहीं मिली है. पिछले दरवाजे से इसे लागू करने की कोशिश जारी है.
उन्होंने कहा कि पहले कैप्टिव प्लांट के नाम पर, कभी मांग व आपूर्त्ति के बढ़ते गैप के नाम पर कोयला ब्लॉक निजी कंपनियों को आवंटित किये जा रहे हैं. सवा दो सौ कोयला ब्लॉक सौंपे जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के दस फीसदी शेयर बेचे गये. उस समय तत्काली न वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने सदन में गोषणा की कि इसके बाद शेयर नहीं बेचे जायेंगे.
लेकिन इसके बाद फिर दस फीसदी शेयर बेचने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. इसके साथ ही सीआईएल के पुनर्गठन के नाम पर सभी कंपनियों को स्वतंत्र करने की रणनीति अपनायी जा रही है. इसका मकसद कोयला श्रमिकों की व्यापक एकता को तोड़ना है. कंपनियों के अलग होने से उनके कर्मियों का वेतन व सुविधाएं अलग–अलग होंगी. यूनियन इस साजिश को सफल नहीं होने देगी और इन दोनों मुद्दों पर स्वतंत्र व संयुक्त रुप से आंदोलन जारी रखेगी.
उन्होंने कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों में चल रही आउटसोर्सिग पर पूर्ण रोक लगनी चाहिए तथा इसमें कार्यरत श्रमिकों व कर्मियों को स्थायी करना चाहिए. साथ ही ठेका श्रमिकों को भी स्थायी करना होगा. आनेवाले समय में ठेका श्रमिक अखिल भारतीय स्तर पर हड़ताल पर जायेंगे. यूनियन इसका पूरा समर्थन करेगी.
उन्होंने कहा कि सीएसआर योजना के तहत खदानों के नजदीकी गांवों के विकास तथा बुनियादी सुविधाओं की गारंटी करने, स्थानीय युवकों को खदानों में नियोजित करने, ओवर वर्डेन डंप को समतल कर खुली खदानों के साथ–साथ उसे भी कृषि योग्य बना कर उसे ग्रामीणों की कोऑपरेटिव को सौंपने की मांग को केंद्र कर आंदोलन विकसित करना होगा.
श्रमिकों को इन मोर्चो पर संघर्ष करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. यूनियन के सांगठनिक सचिव प्रभात राय ने कहा कि राज्य में वामपंथी कर्मियों पर तृणमूल कर्मियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है.
मारपीट, हत्या, घरों में आगजनी से लेकर गांवों से खदेड़ने तक की घटनाएं हो रही है. विधि–व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है. इन मुद्दों को केंद्र कर आगामी 25 जुलाई को रवींद्र भवन के सामने वामपंथी पार्टियां संयुक्त रुप से प्रदर्शन व सभा करेंगी तथा पुलिस आयुक्त को ज्ञापन सौंपेगी. इस आंदोलन में सीएमएस पूरी ताकत के साथ शामिल होगी.
बैठक को कोषाध्यक्ष अखिलेश सिंह, सचिव योगेंद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष जीएस ओझा, कल्याण बनर्जी, सिनचन बनर्जी आदि ने संबोधित किया. सबने इन मुद्दों पर आंदोलन विकसित करने तथा यूनियन को मजबूत करने पर जोर दिया.