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आसनसोल नहीं बना जिला
आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा आसनसोल मेगासिटी सिटीजन फोरम ने उन्हें ज्ञापन भी सौंपा आसनसोल : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आसनसोल सरकारी समारोह में गुरुवार को आसनसोल व दुर्गापुर के निवासियों व खास कर व्यवसायिक संगठनों के प्रतिनिधियों को आसनसोल जिला गठन के मुद्दे पर भारी निराशा हाथ लगी. हालांकि आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा […]
आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा आसनसोल मेगासिटी सिटीजन फोरम ने उन्हें ज्ञापन भी सौंपा
आसनसोल : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आसनसोल सरकारी समारोह में गुरुवार को आसनसोल व दुर्गापुर के निवासियों व खास कर व्यवसायिक संगठनों के प्रतिनिधियों को आसनसोल जिला गठन के मुद्दे पर भारी निराशा हाथ लगी. हालांकि आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा आसनसोल मेगासिटी सिटीजन फोरम ने उन्हें ज्ञापन भी सौंपा. दूसरी ओर रानीगंज में भूमिगत आग व भू-धंसान से प्रभावित निवासियों के पुनर्वास पर भी उन्होंने तथ्यों से अलग घोषणा की.
कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में पुनर्वास योजना तैयार करेगी. जबकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मंजूर मास्टर प्लान-2006 के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने पहले ही 2610 करोड़ रुपये का आवंटन कर रखा है तथा इसकी नॉडेल एजेंसी राज्य सरकार ने अड्डा को बना रखा है. बर्दवान जिले के विभाजन व आसनसोल के जिला गठन की मांग दशकों पुरानी रही है. विभिन्न सरकारी कमेटियों ने भी इसकी अनुशंसा की है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने भी इस मांग का समर्थन किया. इसके गठन के लिए सभी सरकारी औपचारिकताएं भी पूरी की गयी तथा संबंधित विधेयक भी विधानसभा में पेश किया गया. लेकिन संसदीय चुनाव में आसनसोल संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी की हार के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने कई बार कहा है कि आसनसोल की राजनीति झारखंड से प्रभावित होती है.
राज्य में नगर निगम और विधानसभा चुनावों के लिए बनते चुनावी माहौल में मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी के सरकारी समारोह आयोजित होने से सबको आशा बंधने लगी थी कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री आसनसोल जिला गठन की आधिकारिक घोषणा कर सकती है. इसको लेकर व्यवसायिक तबका काफी उत्साहित था.
उसे लगता है कि जिला गठन के बाद सौ किलोमीटर दूर बर्दवान जाने से निजात मिलेगी तथा इस क्षेत्र से होनेवाली राजस्व उगाही में जिले की भागीदारी से क्षेत्र का विकास भी तेजी से होगा. लेकिन मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी ने इस मुद्दे पर एक शब्द भी खर्च नहीं किया. वे आसनसोल में पूर्व में दी सुविधाओं को ही दोहराती रही. इससे व्यवसायिक तबके में काफी निराशा है. इस मुद्दे पर हर व्यवसायिक संगठन के प्रतिनिधि सार्वजनिक टिप्पणी करने से बच रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि मुख्यमंत्री का इस मुद्दे पर मौजूदा रूख उन्हें राजनीतिक घाटा ही दे सकता है.
सीएम की घोषणा से रानीगंज के लोग निराश
रानीगंज में धंसान के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि रानीगंज को धंसान से खतरा है. यदि वहां के निवासी चाहेंगे तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था राज्य सरकार कर सकती है. लेकिन उन्हें कुछ समझौता करना होगा. जितनी जमीन में वे रहते हैं, उतनी जमीन नहीं दी जा सकती है तथा किसी को नौकरी भी नहीं दी जायेगी. यदि निवासी इस पर सहमत हुए तो वे जिला शासक से कहेंगी कि वे इस दिशा में पहल करें. जबकि सच्चाई कुछ और ही है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में रानीगंज कोयलाचंल में 142 ऐसे स्थलों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें भू-धंसान का खतरा है. इनके पुनर्वास के लिए मास्टर प्लान-2006 को मंजूरी मिली है. पुनर्वास की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है. संपत्ति के दावे भी लिये जा चुके है. इनकी सुनवाई कर नन कोकिंग कोल क्षेत्र में इनका पुनर्वास किया जाना है. सीआइएल ने 2610 करोड़ रुपये का आवंटन कर दिया है तथा इसकी क्रियान्वयन एजेंसी आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकार है. मुख्यमंत्री की इस घोषणा से क्षेत्र के जानकारों को काफी निराशा मिली है.
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