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‘ससुर-सास-पति’ के जुल्म की शिकार हो रही महिलाएं

दो अलग-अलग घटनाओं में पीड़िता का परिवार और पूरा समाज हुआ एकजुट समाज ने अत्याचारी ससुरालवालों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत करने का बनाया मन सिलीगुड़ी : ‘ससुर-सास’ और ‘पति’ के जुल्म की दो अलग-अलग घटनाओं में बहुएं अत्याचार की शिकार हो रही हैं. दोनों घटनाओं के मद्देनजर पीड़िता के मायका का परिवार व सिलीगुड़ी […]

दो अलग-अलग घटनाओं में पीड़िता का परिवार और पूरा समाज हुआ एकजुट

समाज ने अत्याचारी ससुरालवालों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत करने का बनाया मन

सिलीगुड़ी : ‘ससुर-सास’ और ‘पति’ के जुल्म की दो अलग-अलग घटनाओं में बहुएं अत्याचार की शिकार हो रही हैं. दोनों घटनाओं के मद्देनजर पीड़िता के मायका का परिवार व सिलीगुड़ी का पूरा समाज एकजुट हो गया है. समाज ने दोनों अत्याचारी ससुरालवालों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत करने का मन भी बना लिया है.

शुक्रवार को पीड़िता के परिवारवालों व सिलीगुड़ी के समस्त समाज बंधुओं ने दोनों अत्याचारी ससुरावालों के घर और दुकान-प्रतिष्ठान के सामने प्रदर्शन कर विरोध जताया.

तेरापंथी जैन समाज ने किया मौन प्रदर्शन : सबसे पहले अत्याचारी निहाल कोठारी के घर के सामने तेरापंथी जैन-श्वेतांबर समाज एकजुट हुआ और शांतिपूर्वक मौन प्रदर्शन किया.

शहर के सेवक रोड के सालुगाड़ा मोड़ पर सुबह 10 बजे समाज के पांच सौ से भी अधिक महिला-पुरूष, युवक-युवती इकट्ठे हुए और यहां से मार्च करते हुए कमलानगर स्थित कोठारी परिवार के घर के सामने पहुंचकर एक घंटे तक प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के अगुवा वरिष्ठ समाजसेवी संपतमल संचेती ने कहा कि बहू-बेटियों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

बहू-बेटियों पर अत्याचार करनेवाले परिवार को समाज से बहिष्कृत कर सबक सिखाने की जरूरत है. ऐसी घटनाओं के विरोध में अगर समाज आज एकजुट नहीं हुआ तो इस तरह की घटनाएं समाज में और बढ़ने की संभावना है. जो पूरे समाज के लिए खतरनाक रूप धारण करेगी.

क्या है कोठारी परिवार की घटना

नेपाल के काठमांडू निवासी संगीता का विवाह 28 जून 2012 को सिलीगुड़ी के सालुगाड़ा निवासी सुरेंद्र कोठारी के बेटे निहाल कोठारी से हुआ. संगीता का आरोप है कि निहाल से उसका विवाह धोखे में रखकर किया गया. विवाह के कुछ दिनों के बाद ही निहाल का असली चेहरा सामने आ गया. वह पूरी तरह अय्याश था और 24 घंटे नशे में धुत्त रहता है. अलग-अलग लड़कियों के साथ रंगरेलियां मनाना उसकी फितरत है. इसका विरोध करने पर बुरी तरह मारता-पीटता है.

सास ललिता से इसकी शिकायत करने पर उल्टे बेटे की ही पक्ष लेती है. संगीता का कहना है कि उसके पिता के जीवित न रहने और मायका आर्थिक रूप से काफी कमजोर होने के वजह से वह अभी-तक सब-कुछ सहन करती आ रही थी, लेकिन इसी वर्ष छह जनवरी को अत्याचार की सीमा पार गयी तो मुझे कानून और समाज का सहारा लेना पड़ा. उस दिन उसे निहाल ने काफी बुरी तरह मारा-पीटा. गला घोंटकर जान से मारने की भी कोशिश की गयी.

किसी तरह से वह जान बचाकर घर से भागी और समाज के पास इंसाफ की गुहार लगाने तेरापंथ भवन पहुंची. तब से वह अपनी छह साल का बेटा निशान व अढ़ाई साल की लड़की सोनवी के साथ भवन में ही रह रही है. सोनवी सीने की गंभीर बीमारी से भी पीड़ित है.

समाज दिलायेगा इंसाफ, संगीता को भरोसा : संगीता को समाज पर इंसाफ दिलाने का पूरा भरोसा है. उसका कहना है कि समाज जो भी फैसला सुनायेगा, वह उसे मान्य होगा. उसे पुलिस प्रशासन पर जरा भी भरोसा नहीं है. छह जनवरी को भक्तिनगर थाना में एफआइआर किये जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने कुछ नहीं किया.

उल्टे ससुरालवालों ने बच्चे को अपने कस्टडी में लेने का कोर्ट से सम्मन भेजवा दिया. जिसकी सुनवायी 27 अप्रैल को होगी. संगीता का कहना है कि समाज के निर्णय के आधार पर ही वह अपने बच्चों के साथ रहेगी. लेकिन अत्याचारी ससुरालवालों को भी सबक सीखाना काफी जरूरी है कि भविष्य में और किसी बहु-बेटी के साथ कोई भी परिवार ऐसा अत्याचार न करे.

समाज कर रहा एकतरफा फैसला, कोर्ट का फैसला ही मान्य : पूरे घटनाक्रम को लेकर निहाल कोठारी से संपर्क साधने की काफी कोशिश की गयी, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. कोठारी परिवार का आरोप है ‘समाज एकतरफा फैसला कर रहा है, बाध्य होकर कोर्ट का फैसला ही मान्य होगा.’ निहाल के छोटे भाई विशाल कोठारी का कहना है कि समाज के साथ कई दौर की बैठक के बाद हमने सबकुछ माना.

समाज ने दोनों बच्चे के नाम पर छह कट्टा जमीन देने, गोदाम भाड़ा से बाबत प्रत्येक महीने 40 हजार रूपये व संसार चलाने के लिए संगीता को जो भी नगद रूपये देने का फैसला लिया था वह सब हमें मान्य था. लेकिन दोनों बच्चे मां के पास ही रहेंगे यह हमें मान्य नहीं. कम से कम बड़ा बेटा हमारा साथ रहे, हम केवल इतना ही चाहते हैं. इस सामाजिक लड़ाई में निशान की जिंदगी तबाह हो रही है. उसे जान बूझकर महीने भर से डॉनबोस्को स्कूल भी नहीं भेजा जा रहा है. साथ ही विशाल का कहना है कि अभी पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में उसके घर के सामने धरना-प्रदर्शन गैर-कानूनी है. इस घटनाक्रम में जो भी शामिल है उन सबको कोर्ट में घसीटेंगे.

इंसाफ नहीं मिलने तक तेरापंथ समाज करेगा लालन-पालन

पीड़िता संगीता कोठारी को इंसाफ न मिलने तक उसे और उसके बच्चों के लालन-पालन की पूरी जिम्मेदारी शहर के पूरे तेरापंथ समाज ने बिड़ा उठा लिया है. इस अहम जिम्मेदारी का फैसला समाज ने गुरुवार को तेरापंथ भवन में पूरे घटनाक्रम लेकर हुई बैठक के दौरान लिया. संपतमल संचेती ने बताया कि समाज की ओर से आर्थिक सहयोग का हाथ भी आगे बढ़ने लगा है. इतना ही नहीं केवल तेरापंथ समाज ही नहीं, बल्कि शहर का समस्त समाज सहयोग के लिए आगे आये है. साथ ही कई वकील भी बगैर एक रूपये लिये संगीता को कानूनी इंसाफ दिलाने के लिए आगे आये हैं.

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