पड़ोसियों ने पीड़ित परिवार व उनके बच्चों को बचाया
रसोईघर में रखे भोजन समेत खाद्यान्न को किया चट
कालचीनी : डुआर्स के विभिन्न क्षेत्रों में हाथियों के तांडव की घटना थमने का नाम ही नहीं ले रहा. आये दिन ऐसी घटना डुआर्स के विभिन्न इलाकों में घट रही है. रोजाना हाथियों का झुंड भोजन की तलाश में जंगल से गांव में घुस जा रहा है. इस घटना में जंगल से सटे वन वस्ती वासी एवं चाय बागान इलाके के श्रमिक बेहद दहशत में दिन गुजार रहे है. फिर ऐसी घटना अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी ब्लॉक के अंतर्गत भाटपाड़ा चाय बागान के ‘बी’ डिवीजन स्थित हॉस्पिटल लाईन इलाके में हुई.
मिली प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार देररात करीबन 10 बजे बाक्सा जंगल से एक जंगली दंतैल हाथी ग्राम में घुसकर स्थानीय चाय श्रमिक दिनेश चिक बड़ाईक के घर पर आक्रमण कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. घर मे रखे पकवान व समस्त अनाजों को चट कर गया एवं जरूरतमंद सामानों को तोड़फोड़ कर बर्बाद कर दिया. वहीं घटना के दौरान घर में बच्चे सो रहे थे. उसी दौरान स्थानीय पड़ोसियों ने उन्हें घर से बाहर निकाला, जिससे उनकी जान बच सकी.
पीड़ित चाय श्रमिक दिनेश चिक बड़ाईक की पत्नी शिप्रा चीक बड़ाईक ने बताया कि मंगलवार रात करीबन 10 बजे हम अपने बच्चों के साथ घर पर सो रहे थे. उसी दौरान एक बड़ा सा जंगली हाथी आकर हमारे घर पर आक्रमण कर तोड़फोड़ करने लगा. किसी तरह पड़ोसियों के सहयोग से हम अपने बच्चों को लेकर बाहर की ओर भागकर उनकी जान बचाएं. उन्होंने कहा कि हाथी ने पहले हमारे घर को तोड़ा, उसके बाद हमारे रसोईघर पर आक्रमण करके पकवान समेत रखा पूरे सप्ताह के समस्त खाद्य सामग्रियों को चट कर गया. घर में खाने के लिए कुछ नहीं बचा.
रात से हम अपने बच्चों के साथ भूखे बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा कि हम एक श्रमिक परिवार हैं. हमारी दैनिक मजदूरी उतनी नहीं कि हम अच्छे घर का निर्माण कर सकें. एक-एक पैसा इकट्ठा करके हमने घर में जरूरतमंद सामग्री जुटाया था. लेकिन हाथी ने आक्रमण करके सब कुछ बर्बाद कर दिया. उन्होंने वन विभाग के समक्ष निवेदन करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे लिए घर की मरम्मत व क्षतिपूर्ण का व्यवस्था जल्द से जल्द कर दिया जाए, ताकि हम अपनी जीविका को फिर से अच्छी तरह चला पाए.
इस विषय पर स्थानीय पड़ोसी किशोर राउत ने बताया कि आये दिन ऐसी घटना हमारे चाय बागान इलाके में होती रहती है. घटना के बाद बार-बार बुलाने के बाद ही वन विभाग की टीम आती है और मुआवजे का आश्वासन देकर चली जाती है. हालांकि ऐसा कब तक चलेगा. कब हाथियों के तांडव से चाय बागान के श्रमिकों को राहत मिलेगी. इस विषय पर बाक्सा बाघ परियोजना के पाना रेंज के रेंजर आशीष मंडल ने बताया कि क्षतिग्रस्त परिजन के मांग अनुसार उन्हें मुआवजे का फॉर्म प्रदान किया गया है.