प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर वार्ड-तीन अंतर्गत महानंदा ब्रिज के नीचे हो रहा अवैध खनन
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रोक के बावजूद महानंदा में बालू व पत्थर का अवैध खनन जारी
प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर वार्ड-तीन अंतर्गत महानंदा ब्रिज के नीचे हो रहा अवैध खनन गत चार जून को दार्जिलिंग की डीएम ने रोक लगाने के लिए जारी किया था नोटिस सिलीगुड़ी : महानंदा का जलस्तर बढ़ने के बावजूद नदी संलग्न इलाकों में बालू-पत्थर खनन का अवैध कारोबार जारी है. इलाके के लोगों का […]
गत चार जून को दार्जिलिंग की डीएम ने रोक लगाने के लिए जारी किया था नोटिस
सिलीगुड़ी : महानंदा का जलस्तर बढ़ने के बावजूद नदी संलग्न इलाकों में बालू-पत्थर खनन का अवैध कारोबार जारी है. इलाके के लोगों का कहना है कि अगर खनन पर रोक नहीं लगायी गयी तो तेज बारिश के बाद इलाके में बाढ़ की समस्या पैदा हो जायेगी.
सिलीगुड़ी की लाइफ लाइन महानंदा नदी नगर निगम के 1, 3, 4, 31, 32, 45 व 46 नंबर वार्ड से होकर गुजरती है. महानंदा के संरक्षण के लिए पिछले दिनों एनजेटी तथा अन्य समाजसेवी संगठनों द्वारा पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं. इसके अलावा हाल ही में प्रभात खबर ने महानंदा को साफ करने के लिए एक मुहिम भी चलायी है. बताया जा रहा है कि स्थानीय कुछ लोग ही महानंदा को गंदा करने में लगे है. नदी संलग्न इलाकों के खटालों से निकलने वाला कचरा सीधे नदी में गिरता है.
सुबह हो या शाम आसपास के लोग महानंदा के किनारों शौच के लिए बैठ जाते हैं. जिससे नदी संलग्न इलाकों में प्रदूषण की समस्या गहराती जा रही है. ज्ञात हो कि विगत 4 जून को दार्जिलिंग की डीएम ने एक नोटिस जारी किया था. जिसमें उत्तर बंगाल में 8 जून से मानसून आने की संभावना जताई गई थी.
इसे ध्यान में रखते हुए अगले नोटिस तक महानंदा, बालासन सहित उत्तर बंगाल के अन्य सभी नदियों में बालू पत्थर निकाले जाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी. आरोप है कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर नगर निगम के 3 नंबर वार्ड महानंदा ब्रिज के नीचे अवैध खनन का कारोबार चल रहा है. स्थानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नदी से निकलने वाले बालू-पत्थर लदा एक ट्रक 500 से 1000 रुपये की दर पर बेचा जाता है.
इस विषय पर डिप्टी मेयर तथा 3 नंबर वार्ड पार्षद रामभजन महतो ने बताया कि मानसून को लेकर जारी की गई डीएम के निर्देश की कॉपी उनके पास नहीं है. उन्होंने कहा कि नदी से बालू पत्थर निकालकर उसे उंचे दामों में बेचा जाता है. सुबह से लेकर शाम तक इलाके के छोटे बच्चे, महिलाएं-पुरुष इस काम में लगे रहते हैं. उन्होंने बताया कि एक दिन में नदी से 4 से 5 ट्रक बालू-पत्थर निकलता है. जिसके बाद उसे रात के वक्त ट्रकों में लोड किया जाता है.
उनका कहना है कि इस मामले को लेकर स्थानीय प्रधान नगर थाने को अवगत कराया जायेगा. वहीं दार्जिलिंग की डीएम दीपा प्रियापी ने बताया कि नियमित आदेशानुसार मॉनसून आते ही नदी से बालू पत्थर निकालने का काम बंद हो जाता है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर विशेष निर्देश के तहत बालू-पत्थर निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि महानंदा नदी के मामले को लेकर उन्हें पहले भी शिकायत मिली है. इस पर रोक लगाने के लिए शीघ्र ही अभियान चलाया जायेगा.
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