छतों पर उगाये जा रहे मौसमी साग-सब्जियां व फल
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रूफ गार्डेन : बागवानी की नायाब पद्धति का बढ़ रहा क्रेज
छतों पर उगाये जा रहे मौसमी साग-सब्जियां व फल अमेरिकन सहजन से लेकर देशी चीकू के पेड़ से गुलजार हो रहा रूफ गार्डेन सिलीगुड़ी : शहर में इन दिनों रूफ गार्डेन बनाने और उसे सजाने-संवारने का क्रेज जोर पकड़ता जा रहा है. खेतों में सब्जी, फल-फूल उगाने की परंपरागत पद्धति से अलग हटकर सिलीगुड़ी के […]
अमेरिकन सहजन से लेकर देशी चीकू के पेड़ से गुलजार हो रहा रूफ गार्डेन
सिलीगुड़ी : शहर में इन दिनों रूफ गार्डेन बनाने और उसे सजाने-संवारने का क्रेज जोर पकड़ता जा रहा है. खेतों में सब्जी, फल-फूल उगाने की परंपरागत पद्धति से अलग हटकर सिलीगुड़ी के कई जागरूक और पर्यावरण प्रेमी अपने घर की छतों पर गमलों और प्लास्टिक के बड़े ड्राम में मौसमी साग-सब्जियां और फलों के पेड़ लगा रहे हैं. वैसे भी सिलीगुड़ी शहर की आवोहवा का अलहदा मिजाज है. इसमें मौसम के ढ़ेर सारे रंग मिले हुए हैं.
यहां की पर्यावरणीय विविधता का कोई जवाब नहीं है. जहां एक ओर शहर के चारों तरफ हरे-भरे जंगल सबको सम्मोहित करते हैं, वहीं दूसरी तरफ यहां के रहनेवाले लोग पर्यावरण को लेकर काफी सजग रहते हैं. बागवानी के लिए पर्याप्त जगह न होने के कारण शहर के कई इलाकों में जागरूक लोगों द्वारा घर के छत की सीमित जगह पर अलग-अलग मौसम में विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाने का प्रचलन जोर पकड़ता जा रहा है.
पिछले कई सालों से रूफ गार्डेन में सब्जियों-फलों की खेती में लगे सिलीगुड़ी के नामचीन साहित्यकार व पत्रकार डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह का रूफ गार्डेन पहली ही नजर में मन मोह लेता है. उनके रूफ गार्डेन के गमले में देशी सब्जियां करैला, भिंडी, बैगन, टमाटर, कुंदरी, चठैल, मिर्च, नींबू के साथ-साथ अमरूद, चीकू, आम, पपीता की भरमार है. लेकिन सबसे दिलचस्प है देशी चीकू और अमेरिकन सहजन का पौधा. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि सीजन आने पर 6-7 फीट के अमेरिकन सहजन का पौधा काफी फलता है. इसके अलावा मध्यम आकार के गमलों में भिंडी और करैले उगाकर घर में सब्जियों की जरूरत पूरी करते हैं.
वहीं दूसरी ओर देशी चीकू से लदे पेड़ के बारे में उन्होंने बताया कि लगभग 10 साल पहले उन्होंने इसके पेड़ लगाये थे. करीब एक साल के बाद ही इसमें पुल आना शुरू हो गया. उन्होंने बताया कि वे अब तक करीब आठ हजार चीकू तोड़ चुके हैं. डॉ सिंह ने अपने रूफ गार्डेन में आम और पपीता के भी पेड़ लगाये हैं. इसके अलावा रामतुलसी का पेड़ भी मौजूद है.
रूफ गार्डेन के संबंध में डॉ़ सिंह ने कहा कि किसी भी पौधे में वे कोई रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते हैं. उनका कहना है कि वे सब्जियों के छिलके और नीम की खली से बने जैविक खाद ही इस्तेमाल करते हैं. डॉ सिंह का मानना है कि रूफ गार्डेन के लिए जैविक खादों का प्रयोग सबसे बेहतर होता है.
उन्होंने कहा कि रायायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा क्षमता प्रभावित होती है. खासकर गमलों में लगायी गयी सब्जी और अन्य पौधों में रासायनिक खाद डालने से मिट्टी की नैसर्गिक ताकत समाप्त हो जाती है. इसका बुरा असर पौधों पर पड़ता है. उनका मानना है कि रूफ गार्डेन बनाने के लिए ज्यादा जगह की कोई जरूरत नहीं है.
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