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विगत चार दशक से बांहाती नहर में पानी नदारद

जलपाईगुड़ी : लोकसभा चुनाव सामने है. इस बीच हर राजनैतिक दल अपने अपने स्तर पर लोगों को लुभाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, जलपाईगुड़ी जिले के नंदनपुर-बोआलमारी ग्राम पंचायत अंतर्गत पहाड़ेरहाट इलाके में खेती की जमीन पानी के बिना सूख रही है. आरोप है कि विगत चार दशक से तीस्ता बैरेज के बांहाती खाल […]

जलपाईगुड़ी : लोकसभा चुनाव सामने है. इस बीच हर राजनैतिक दल अपने अपने स्तर पर लोगों को लुभाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, जलपाईगुड़ी जिले के नंदनपुर-बोआलमारी ग्राम पंचायत अंतर्गत पहाड़ेरहाट इलाके में खेती की जमीन पानी के बिना सूख रही है.

आरोप है कि विगत चार दशक से तीस्ता बैरेज के बांहाती खाल में एक बूंद पानी नहीं रह रहा है. इससे फसल अच्छी नहीं हो पा रही है. इसको लेकर किसानों में क्षोभ कायम है.
यह क्षोभ इतना गहरा है कि इन लोगों ने इस बार चुनाव में माकूल जवाब देने के लिये लोग सोच रहे हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में तीस्ता बैरेज की योजना बनी थी. इस योजना का निर्माण कार्य शुरु होने पर इस शाखा नहर का लाभ पड़ोस के कूचबिहार तक विस्तार करने की बात थी.
हैरानी की बात है कि इस सूखे मौसम में जब किसानों को सिंचाई की सख्त जरूरत रहती है तब इसमें एक बूंद पानी नहीं है. नहर के अंदर मवेशी घास चर रहे हैं. कैनेल के दोनों हिस्से में उपले सुखाये जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस शाखा नहर का विस्तार जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक से पड़ोसी कूचबिहार के हल्दीबाड़ी तक किये जाने की भी बात थी.
जानकारी अनुसार अस्सी के दशक में इस कैनेल के जरिये उत्तर बंगाल में हरित क्रांति की संभावनाओं की बात की गयी थी. लेकिन अफसोस की बात है कि वामफ्रंट के शासनकाल के 34 साल और तृणमूल कांग्रेस के आठ साल के कार्यकाल में भी यह परियोजना जस की जस हालत में है.
थोड़ा भी सुधार नहीं हुआ है. इस वजह से केवल नंदनपुर के पहाड़ेरहाट के अलावा मंडलघाट, ग्राम पंचायत, खारिजा बेरुबाड़ी-1 और 2 के अलावा नगर बेरुबाड़ी ग्राम पंचायत इलाके में सिंचाई का बुरा हाल है.
पहाड़ेरहाट मोड़ निवासी दिलीप सरकार ने इस बारे में बताया कि लंबे समय से तीस्ता कैनेल की हालत सोचनीय है. कैनेल के अलग अलग हिस्से टूट-फूट रहे हैं. उम्मीद की जा रही थी इस सूखे मौसम में सिंचाई का पानी मिलेगा. लेकिन वह आशा निराशा में बदल गयी है.
सिंचाई की सुविधा होती तो यहां की एकफसली जमीन में तीन तीन फसल तक उगायी जा सकती थी. एक अन्य किसान देवाशु राय ने बताया कि उनकी थोड़ी जमीन है. लेकिन सिंचाई के साधन के अभाव में फसल अच्छी नहीं हो रही.
किराने की दुकान कर किसी तरह परिवार का निर्वाह कर रहे हैं. कुछ इसी तरह की राय अमृत सरकार की भी है. इस मसले को लेकर विभिन्न राजनैतिक दल भी मुखर हैं और वे एक दूसरे पर आरोप व प्रत्यारोप लगा रहे हैं. लेकिन देखा जाये तो इस उपेक्षा और लापरवाही के लिये अमूमन सभी राजनैतिक दल कमोवेश जिम्मेदार हैं.
इस बारे में फॉरवर्ड ब्लॉक के केंद्रीय सचिवमंडलीय सदस्य और कूचबिहार लोकसभा सीट से वामफ्रंट प्रत्याशी गोविंद राय ने कहा कि वामफ्रंट के कार्यकाल में तो यह परियोजना बनी नहीं. लेकिन तृणमूल सरकार के कार्यकाल में इस पर कोई काम नहीं हुआ.
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष निर्मल घोष दस्तिदार ने कहा कि कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता एबीए गनी खान चौधरी के समय यह परियोजना शुरु की गयी थी. लेकिन बाद में कोई भी सरकार इसे लागू नहीं कर सकी. वहीं, तृणमूल के जिला उपाध्यक्ष दुलाल देवनाथ ने कहा कि परियोजना को लेकर वामफ्रंट के कार्यकाल में ही सर्वाधिक भ्रष्टाचार हुआ है.
उस समय 20 इंजीनियरों को इस परियोजना के सिलसिले में जेल भेजा गया था. जमीन को लेकर कुछ कानूनी पेचिदगियां रहने के बावजूद वर्तमान में इस परियोजना के काम में गति आयी है.

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