सिलीगुड़ी : जहां केंद्र की भाजपा नीत गठबंधन सरकार जनधन योजना के तहत करोड़ो लोगों का मुफ्त में बैंक खाता खुलवाने का दावा ठोक रही है, वहीं दूसरी तरफ बैंक खाता नहीं होने से शहर की कई महिलाएं जननी सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित हो गयी हैं. बैंक में खाता नहीं होने की वजह से काफी संख्या में सिलीगुड़ी शहर की प्रसूताएं आर्थिक सहायता से वंचित रह गयी.
जबकि बैंक में खाता खुलवाने के मामले में शहरी महिलाओं के मुकाबले ग्रामीण महिलाओं की संख्या काफी अधिक है.उन्हें आर्थिक सहायता का लाभ भी मिला है.
यहां बता दे कि जच्चा व बच्चा को स्वस्थ रखने के लिए प्रसूता को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है. शहरी क्षेत्र में एक हजार व बस्ती तथा ग्रामीण इलाकों में निवास करने वाली प्रसूताओं को नौ सौ रूपये देने का प्रावधान है. बैंक में खाता नहीं होने की वजह से बीते वर्ष 2018 में सिलीगुड़ी की काफी महिलाएं इस सहायता से वंचित रह गयी. प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं में से मात्र 248 शहरी महिलओं को ही यह लाभ मिला है.
जबकि 1093 शहरी स्लम महिलाओं को योजना का लाभ मिला है. जबकि प्रति महीने सिर्फ सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में औसतन 500 प्रसव होता है. सिलीगुड़ी जिला अस्पताल रोगी कल्याण समिति की बैठक में इस आंकड़े ने सभी को काफी परेशान किया है. बैठक के बाद रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डॉ. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने इसके लिए शहर के वार्ड पार्षदों व निगम के स्वास्थ विभाग को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि इतने सारे आईसीडीएस कर्मी हैं, वार्ड पार्षद हैं फिर भी प्रसूताओं का बैंक खाता नहीं है.
बैंक खाता नहीं होने की वजह से बीते वर्ष काफी अधिक महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रह गयीं. प्रसूताओं को योजना का लाभ सुनिश्चित कराने के लिए रोगी कल्याण समिति ने अस्पताल में भर्ती होने वाली प्रत्येक प्रसूता व उसके परिवार से ली जाने वाली जानकारी में बैंक खाते को भी शामिल करने का निर्णय लिया है. इसके लिए विभिन्न बैंक प्रबंधन से भी बातचीत की जायेगी. खाता नहीं रखने वाली प्रसूताओं के भर्ती होने के साथ ही उनका बैंक खाता खुलवाने की व्यवस्था की जायेगी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी नगर निगम के पास दो हजार से अधिक महिला आईसीडीएस कर्मी हैं. जो निर्धारित समय के अंतराल पर सर्वे करगर्भवती महिलाओं से जानकारी लेकर डाटाबेस तैयार करती हैं. इसके बाद भी बैंक खाता नहीं होने से इतनी अधिक प्रसूताएं योजना से वंचित रह गयी.
अग्निशमन की अत्याधुनिक व्यवस्था
वहीं दूसरी तरफ सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में अत्याधुनिक अग्निशमन व्यवस्था की जा रही है. अगले तीन महीने में जिला अस्पताल में अत्याधुनिक फायर सेफ्टी चालू करने की घोषणा की गयी. अस्पताल के प्रत्येक वार्ड व आपातकालीन विभाग में स्मोकिंग डिटेक्टर लगाने का फैसला हुआ है. आग लगने पर पानी की समस्या ना हो इसके लिए अस्पताल परिसर में 1 लाख लीटर का अंडरग्राउंड रिजर्वर भी तैयार कर लिया गया है.
स्वास्थ परिसेवा सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं में विकास की वजह से सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में शिकायतों की संख्या भी कम हो रही है. बीते वर्ष मात्र 27 शिकायतें ही मिली हैं.मरीज के परिवारों के लिए अस्पताल प्रबंधन ने चार लाख की लागत से एक कैंटीन तैयार किया है. कैंटीन के नामकरण के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध किया गया है.
नामकरण होते ही फरवरी महीने से कैंटीन को चालू कर दिया जायेगा. रोगी कल्याण समिति की बैठक में सिलीगुड़ी महकमा शासक सिराज दानेश्वर, जिला मुख्य स्वास्थ अधिकारी प्रलय आचार्य, अस्पताल अधीक्षक अमिताभ मंडल व अन्य अधिकारी उपस्थित थे.