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जीटीए चुनाव जनवरी में कराने की सीएम से अपील
दार्जिलिंग : जीटीए सभा का चुनाव जनवरी 2019 में होने की चर्चा जोरों पर है. इस बारे में पूछे जाने पर गोजमुमो (विनय गुट) के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सतीश पोखरेल ने कहा कि उन्होंने भी इस तरह की चर्चा सुनी है, परंतु आधिकारिक रूप से अभी तक ऐसा कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि लगभग […]
दार्जिलिंग : जीटीए सभा का चुनाव जनवरी 2019 में होने की चर्चा जोरों पर है. इस बारे में पूछे जाने पर गोजमुमो (विनय गुट) के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सतीश पोखरेल ने कहा कि उन्होंने भी इस तरह की चर्चा सुनी है, परंतु आधिकारिक रूप से अभी तक ऐसा कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि लगभग एक सप्ताह पहले पार्टी की ओर से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर जनवरी 2019 में जीटीए सभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग की गयी है. इस संदर्भ में बातचीत के लिए मुख्यमंत्री से समय भी मांगा गया है.
श्री पोखरेल ने बताया कि एक सप्ताह में शहर के जज बजार स्थित गोजमुमो केन्द्रीय कार्यालय का उदघाटन किया जायेगा. इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष विनय तमांग, महासचिव अनित थापा समेत पूरा केंद्रीय नेतृत्व उपस्थित रहेगा. उद्घाटन समारोह के बाद केन्द्रीय कोर कमेटी और केन्द्रीय कमेटी के सदस्य एक बैठक करेंगे, जिसमें जीटीए चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के साथ भेंटवार्ता और कोलकाता प्रस्थान की तारीख पर चर्चा होगी.
सतीश पोखरेल ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि जीटीए की कुल 45 समष्टियों में सबसे बड़ी समष्टि गोरूबथान है, जिसका विभाजन करके दो समष्टि बनाने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की जायेगी. यदि मुख्यमंत्री इस बारे में स्वीकृति देती हैं तो गोरूबथान क्षेत्र का बेहतर विकास हो सकेगा.
जीटीए चुनाव के एजेंडे के बारे में पूछे जाने पर गोजमुमो उपाध्यक्ष ने कहा कि कोई भी चुनाव हो, हमारा मुख्य मुद्दा गोरखालैंड ही होगा. गोरखालैंड गठन के लिए आज तक जितने भी आन्दोलन हुए वो सभी गलत नेतृत्व के कारण विफल हुए हैं. अब उस तरह की गलती नहीं होगी. गोरखालैंड एक संवैधानिक मांग है और इसे संवैधानिक रूप से मांगने का कार्य होगा.
‘वरुण भुजेल ने भी कबूल किया था विनय का नेतृत्व’
गोरखालैंड आंदोलन के लिए शहीद हुए वरुण भुजेल ने भी विनय तमांग और अनित थापा का नेतृत्व को स्वीकार किया था, यह दावा गोजमुमो विनय गुट के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सतिश पोखरेल ने एक बातचीत में किया. उन्होंने कहा कि 2017 के आंदोलन के दौरान पुलिस ने वरुण भुजेल को पकड़कर सिलीगुड़ी जेल में रखा था. उस दौरान वरुण भुजेल से उनकी मुलाकात हुई थी.
वह जिंदादिल और बेहद खुशमिजाज व्यक्ति थे. जेल में बंद अन्य आंदोलनकारियों को भी हंसाते रहते थे. इसलिए जेल में बंद लोग उन्हें ‘बड़ा बच्चा’ कहकर बुलाते थे. श्री पोखरेल ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि वरुण का जेल में ही निधन हो गया.
जेल में आंदोलनकारियों से मिलने विनय तमांग और अनित थापा आया करते थे. उसी दौरान वरुण भुजेल ने विनय व अनित का नेतृत्व स्वीकार किया था. उन्होंने विमल गुरुंग गुट का नाम लिये बगैर कहा कि कुछ लोग वरुण भुजेल के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने का काम कर रहे हैं.
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