सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में बाहरी व्यक्ति के ऑपरेशन थियेटर में घुसने के मामले के करीब छह दिन बाद भी अब तक आरोपी डॉक्टर से पूछताछ नहीं हुई है.
इससे यहां के लोगों में रोष है और मरीज के परिवार वालों ने अस्पताल प्रबंधक पर जांच में ढिलाई के आरोप लगाये हैं. रोगी के परिवार वालों का कहना है कि उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज अस्पताल में दलालों के साथ डॉक्टरों की मिलीभगत के इतने बड़े आरोप सामने आने के बाद भी अब तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होना आश्चर्यजनक है. उल्लेखीय है कि इस महीने की 14 मई को उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में एक अद्भूत मामला सामने आया था. तब ऑपरेशन थियेटर के अंदर एक अंजान व्यक्ति को पकड़ा गया था. वह ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त होने वाले ड्रेस में था और डॉक्टरों की मदद कर रहा था. उसके पकड़े जाने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि वह ऑपरेशन में प्रयुक्त होने वाले सजिर्कल इंस्ट्रमेंट की आपूर्ति करता था और डॉक्टरों के साथ इस मामले में उसकी मिलीभगत थी. पुलिस ने आरोपी निर्मल मंडल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और वह अभी भी जेल में ही है.
आरोप है कि निर्मल मंडल काफी दिनों से इस काम में सक्रिय था और डॉक्टरों के साथ उसकी मिलीभगत थी. किसी भी ऑपरेशन से पहले डॉक्टर मरीज के परिवार वालों को सजिर्कल इंस्ट्रमेंट खरीदने के लिए निर्मल मंडल का फोन नंबर दे देते थे. उस दिन भारती चंदा नामक एक महिला के कमर का ऑपरेशन होना था. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर सुभाशीष रंजन मित्र ने परिवार वालों को एक पर्ची दी और विभिन्न सामानों को निर्मल मंडल से खरीदने की हिदायत भी दी. परिवार वाले 16 हजार 800 रुपये देकर सजिर्कल इंस्ट्रूमेंट ले आये. लेकिन परिवार वालों को कुछ संदेह हुआ और बिल पर लिखे फोन नंबर पर संपर्क करने पर पता चला कि खरीदे गये सामग्रियों की कीमत 5000 रुपये से भी कम है. उसके बाद परिवार वालों ने निर्मल मंडल से फोन पर संपर्क साधा तो उसने बताया कि वह ऑपरेशन थियेटर में है. इस खबर से खलबली मच गई. तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना के बाद अस्पताल परिसर में काफी हाय-तौबा मची और स्वयं उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने डॉक्टरों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और पूरे मामले की जांच के आदेश दिये. मंत्री के निर्देश पर अस्पताल अधीक्षक अमरेन्द्र नाथ सरकार ने एक चार सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किया और आठ से दस दिनों के अंदर रिपोर्ट देने की बात कही. तब से लेकर अब तक छह दिन बीत गये हैं, लेकिन जांच की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. मिलीभगत के आरोपी डॉक्टर सुभाशीष रंजन मित्र को मामले के सामने आने के बाद छुट्टी पर भेज दिया गया था.
वह अभी भी छुट्टी पर हैं, लेकिन उनसे अब तक कोई पूछताछ नहीं हुई है. परिवार वालों का आरोप है कि पूरे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावे जांच समिति में शामिल कई डॉक्टर भी यहां नहीं थे. एक डॉक्टर के तो किसी सेमिनार में जाने की खबर है. सूत्रों के अनुसार वह कल ही सिलीगुड़ी लौटे हैं. ऐसी स्थिति में अगले दो-तीन दिनों के अंदर जांच की दिशा में कितनी प्रगति होगी, इसको लेकर लोगों के मन में संदेह है. दूसरी तरफ अस्पताल अधीक्षक का इस संबंध में कहना है कि जांच का काम सही दिशा में है और जांच कमिटी के सदस्य समय पर अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे.