अदालत ने पूछा, अगर चार्जशीट में नाम नहीं तो एफआइआर में मुख्य आरोपी कैसे बनाया
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अमिताभ मलिक हत्याकांड
अदालत ने पूछा, अगर चार्जशीट में नाम नहीं तो एफआइआर में मुख्य आरोपी कैसे बनाया सिलीगुड़ी : अमिताभ मलिक हत्याकांड में दार्जिलिंग जिला अदालत के न्यायाधीश ने सीआइडी को फटकार लगायी है. गुरुवार को सीआइडी ने इस मामले में अदालत में चार्जशाट पेश की, जिसमें मुख्य आरोपी विमल गुरुंग का नाम नहीं है. इस पर […]
सिलीगुड़ी : अमिताभ मलिक हत्याकांड में दार्जिलिंग जिला अदालत के न्यायाधीश ने सीआइडी को फटकार लगायी है. गुरुवार को सीआइडी ने इस मामले में अदालत में चार्जशाट पेश की, जिसमें मुख्य आरोपी विमल गुरुंग का नाम नहीं है. इस पर अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि अगर विमल गुरुंग को चार्जशीट में आरोपी नहीं बनाया गया है, तो एफआइआर में उनका नाम नंबर एक पर रखे जाने का क्या मतलब था. फिलहाल चार्जशीट में गोजमुमो के सूरज प्रधान, श्याम कामी, महेंद्र कामी और देवराज लेप्चा को आरोपी बनाया गया है.
उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष 13 अक्तूबर को दार्जिलिंग की तकवर समष्टि के वर्नसबेग इलाके में पुलिस व गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग के निजी रक्षकों में मुठभेड़ हो गयी थी.
चार्जशीट में गुरुंग का…
इस घटना में दार्जिलिंग सदर थाने में तैनात एसआइ अभिताभ मलिक की मौके पर ही मौत हो गयी थी. दार्जिलिंग जिला पुलिस ने विमल गुरुंग सहित कई लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीआइडी को सौंप दी थी. करीब तीन महीने बाद सीआइडी ने दार्जिलिंग जिला अदालत में चार्जशीट पेश की है, जिसमें विमल गुरुंग का नाम कहीं नहीं है. इसी बात पर अदालत ने सीआइडी को फटकार लगायी.
न्यायाधीश का कहना था कि एफआइआर में विमल गुरुंग का नाम मुख्य आरोपी के रूप में था, तो चार्ज शीट में कहीं नाम क्यों नहीं है. यदि इस मामले में विमल गुरुंग की सहभागिता नहीं थी, तो फिर एफआइआर में उनका नाम क्यों दर्ज किया गया. इन प्रश्नों का सीआइडी के पास कोई जवाब नहीं था. सीआइडी ने सभी आरोपियों पर आइपीसी की धारा 302, 307, 120बी, 353 सहित आर्म्स एक्ट व विस्फोटक एक्ट का मामला बनाया है.
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