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रेल लाइन पर हाथियों की मौत को रोकने का अनोखा उपाय, सुनायी जायेगी मधुमक्खियों की आवाज

अलीपुरद्वार: डुआर्स के जंगलों से होकर गुजरने वाली रेल लाइनों पर अक्सर हाथियों की मौत होती रहती है. इन मौतों की रोकथाम के लिए कई तरह के उपाय किये जा चुके हैं, जिसमें अलार्म सिस्टम भी शामिल है. लेकिन अब रेलवे इस समस्या के समाधान के लिए एक नया और अनूठा उपाय करने जा रही […]

अलीपुरद्वार: डुआर्स के जंगलों से होकर गुजरने वाली रेल लाइनों पर अक्सर हाथियों की मौत होती रहती है. इन मौतों की रोकथाम के लिए कई तरह के उपाय किये जा चुके हैं, जिसमें अलार्म सिस्टम भी शामिल है. लेकिन अब रेलवे इस समस्या के समाधान के लिए एक नया और अनूठा उपाय करने जा रही है. अगले एक महीने के भीतर अलीपुरद्वार जंक्शन से सिलीगुड़ी जंक्शन तक डुवार्स के वनांचलों से होकर 160 किलोमीटर के रेल मार्ग के आसपास मधुमक्खियों की गूंज सुनी जायेगी. रेल विभाग के सूत्रों का मानना है कि चूंकि हाथी मधुमक्खियों की गूंज से भयभीत होते हैं, इसलिए यह उपाय उन्हें रेल पटरी की तरफ आने से रोकेंगे.

सूत्रों के अनुसार अलीपुरद्वार जंक्शन से सिलीगुड़ी जंक्शन के बीच वाले हाथियों के कोरिडोर के जिन-जिन बिंदुओं पर हाथियों की मौत हुई है, वहां-वहां मधुमक्खियों की गूंज वाले स्पीकर लगाये जायेंगे. इस नयी पद्धति को लागू करने के लिए वन विभाग को सूचित किया जायेगा. वहीं वन विभाग ने इस तरह की किसी प्रयोग की जानकारी से इंकार किया है. अलीपुरद्वार के डीआरएम ने बताया कि वर्ष 2018 के जनवरी में न्यू अलीपुरद्वार से कूचबिहार के पुंडीबाड़ी और न्यू जलपाईगुड़ी से जलपाईगुड़ी रोड स्टेशन तक डबल लाइन बैठाने का काम पूरा हो जायेगा. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के सूत्र के अनुसार, ट्रेन से हाथियों की मृत्यु के मसले को लेकर रेल और वन विभाग के बीच दिसंबर के तीसरे सप्ताह में समीक्षा बैठक होगी. उसी बैठक में नये उपाय को लागू करने पर चर्चा होगी.

असम में इस प्रयोग को मिली है सफलता
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अलीपुरद्वार डिवीजन के डीआरएम चंद्रवीर रमण ने प्रेस को बताया है कि रेल मार्गों पर ट्रेन और हाथियों की टक्कर रोकने के लिए असम के ग्वालपाड़ा डिवीजन के दो-तीन प्वाइंटों पर इस तरह की ध्वनि की व्यवस्था की गयी है. इस व्यवस्था से हाथियों की मौत की घटनाओं पर अंकुश लगा है. शोध से पता चला है कि मधुमक्खियों की गूंज हाथियों को भयभीत करती है. इसीलिए रेलवे डिवीजन ने अन्य उपायों के साथ इस उपाय को भी लागू किया जायेगा. इसके लिए हाथियों के झुंड की आवाजाही वाले कोरिडोरों में स्पीकर के माध्यम से मधुमक्खियों की गूंज सुनायी जायेगी.

वर्ष 2015 तक ट्रेन से कट कर 62 हाथियों की मौत
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक डुवार्स क्षेत्र में बड़ी लाइन-3 नंबर रेल मार्ग पर वर्ष 2015 तक ट्रेन से कट कर कुल 62 हाथियों की मृत्यु हो चुकी है. हालांकि गैरसरकारी आंकड़ों के अनुसार, मृत्यु की संख्या 77 है. हालांकि हाल में किये गये उपायों के फलस्वरूप 2016 से लेकर 2017 के बीच डुआर्स के इस रेल मार्ग पर एक भी हाथी की मृत्यु नहीं हुई है.

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