यहां उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े तीन महीने से अधिक समय तक चले गोरखालैंड आंदोलन के दौरान विमल गुरूंग पर देशद्रोह के साथ ही विस्फोटक एवं आतंकवाद कानून के तहत कई मामले दर्ज किये गये हैं. उसके बाद से ही विमल गुरूंग फरार हैं. पुलिस तथा सीआइडी उनकी जोर-शोर से तलाश कर रही है. सोमवार सुबह से ही दार्जिलिंग पुलिस भी पूरी तरह से चौकस थी. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ऐसे तो विमल गुरूंग के आने की संभावना नहीं के बराबर थी. फिर भी पुलिस अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी. दार्जिलिंग के चौरास्ता, चौक बाजार तथा विमल गुरूंग के आवास पातलेबास आदि इलाके में पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गई थी.
दूसरी तरफ विमल गुरूंग के 30 अक्तूबर को दार्जिलिंग नहीं आने की संभावना उसी समय साफ हो गई थी जब गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि ने भी एक प्रेस बयान जारी कर विमल गुरूंग को दार्जिलिंग आने से मना किया था. श्री गिरि का कहना है कि त्रिपक्षीय बैठक से पहले विमल गुरूंग को दार्जिलिंग नहीं आना चाहिए. यदि वह आते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और त्रिपक्षीय बैठक के खटाई में पड़ने की संभावना है. रोशन गिरी ने आगे कहा है कि गोरखालैंड मुद्दे पर केन्द्र सरकार शीघ्र ही एक बैठक बुलाने वाली है. इस बैठक में विमल गुरूंग को भी शामिल होने के लिए कहा जायेगा. इससे पहले यदि उनकी गिरफ्तारी हो जाती है, तो बैठक रद्द भी हो सकती है. इसीलिए विमल गुरूंग को उन्होंने भी दार्जिलिंग नहीं आने के लिए कहा है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि केन्द्र सरकार की ओर से भी विमल गुरूंग को दार्जिलिंग आने से मना किया गया है. रोशन गिरी ने एक बार फिर से गोरखालैंड की हुंकार भी भरी है. श्री गिरि ने कहा है कि 2007 में गोजमुमो की स्थापना के बाद से ही अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. वर्तमान आंदोलन के दौरान 13 गोरखा मारे गये, जबकि 300 से भी अधिक को जेल में बंद किया गया है. इससे गोरखालैंड की मांग नहीं दबेगी.