सिलीगुड़ी. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर तीन महीने से जारी हिंसक आंदोलन की वजह से पहाड़ में राशन-पानी की आपूर्ति भी पूरी तरह बंद पड़ी है. सरकार वहां खाद्यान्न संकट नहीं होने देगी. यह दावा किया है ममता सरकार के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने.
वह गुरुवार को उत्तरकन्या में पहाड़ पर खाद्य आपूर्ति और चाय उद्योग से जुड़े श्रमिकों की समस्या, न्यूनतम मजदूरी व पूजा बोनस जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर श्रम मंत्री मलय घटक, पर्यटन मंत्री गौतम देव व आदिवासी विकास व कल्याण मामलों के मंत्री जेम्स कुजुर की मौजूदगी में जिला प्रशासन के अधिकारियों के अलावा पहाड़ के राशन डीलरों, चाय बगानों के मालिक पक्षों व श्रमिक यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ हुई कई घंटों के मैराथन मीटिंग के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने मीडिया के सामने दावे के साथ कहा कि पहाड़ पर खाद्य आपूर्ति के लिए सरकार के पास 15 दिनों का राशन स्टॉक है. ये राशन सिलीगुड़ी में खाद्य निगम के तीन गोदामों बागराकोट, डाबग्राम और रांगापानी में भरती पड़ा है. आटा-चावल की कोई नहीं है. पहाड़ पर खाद्य संकट दुर्गा पूजा से पहले सामान्य हो जाये इसके लिए जिला प्रशासन को जरुरी निर्देश दिया गया है. जिला प्रशासन से ग्रीन सिंग्नल मिलते ही पहाड़ पर राशन पहुंचानी शुरु कर दी जायेगी. श्री मल्लिक का कहना है कि दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिले के पर्वतीय क्षेत्र में एपीएल और बीपीएल कार्ड धारकों की कुल संख्या 1.75 लाख है. वहीं, सरकारी राशन डिलरों की कुल संख्या 675 है. पहाड़ पर प्रत्येक महीने 9500 मिट्रिक टन राशन की खपत होती है. श्री मल्लिक ने पहाड़ के बंद चाय बागानों को भी पूरे शांति-सुरक्षा के साथ जल्द खुलवाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिया. इसके लिए मालिक पक्षों और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ आम सहमति भी बनायी गयी.
न्यूनतम मजदूरी को लेकर कमेटी गठित
आज की मीटिंग में चाय श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी को लेकर श्रम मंत्री, मालिक पक्ष और श्रमिक पक्ष को मिलाकर एक कमेटी गठित की गयी है. मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का कहना है कि न्यूनतम मजदूरी पर सबों की सहमती के बाद ही जल्द उचित सिद्धांत लिया जायेगा. इस मौके पर मंत्री ने चाय बागानों के छात्र-छात्रियों के तकनीकि ज्ञान अर्जन करने को लेकर एलान किया कि अगर वे कंप्यूटर कोर्स करना चाहते हैं तो सरकार के श्रम दफ्तर में आवेदन करने पर उन्हें पांच हजार रुपये का आर्थिक सहयोग किया जायेगा.