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बागान खुलवाने के लिए हाइकोर्ट जाने की तैयारी

सिलीगुड़ी: डुवार्स क्षेत्र के लंबे समय से बीमार चल रहे डंकन्स समूह के चाय बागानों को खुलवाने के लिए राज्य सरकार हाइकोर्ट का रुख करने जा रही है. शनिवार को उत्तरकन्या में टी एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में इस बारे में चर्चा हुई. बैठक में पर्यटन मंत्री गौतम देव टी एडवाइजरी काउंसिल के चेयरमैन की […]

सिलीगुड़ी: डुवार्स क्षेत्र के लंबे समय से बीमार चल रहे डंकन्स समूह के चाय बागानों को खुलवाने के लिए राज्य सरकार हाइकोर्ट का रुख करने जा रही है. शनिवार को उत्तरकन्या में टी एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में इस बारे में चर्चा हुई. बैठक में पर्यटन मंत्री गौतम देव टी एडवाइजरी काउंसिल के चेयरमैन की हैसियत से उपस्थित थे.
देखा जाये तो डंकन्स समूह के कुल 17 चाय बागानों में श्रमिकों की हालत ज्यादा खस्ता है. चूंकि ये बागान आधिकारिक तौर पर बंद नहीं हैं. इन्हें बीमार चाय बागानों की श्रेणी में रखा गया है. इसीलिए यहां के श्रमिकों को वो सरकारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जो घोषित रूप से बंद रेडबैंक, धरनीपुर और सुरेन्द्रनगर चाय बागानों के बेरोजगार श्रमिकों को मिल रही हैं. इसी वजह से इन बागान श्रमिकों की हालत ज्यादा दयनीय है.
ये श्रमिक कुपोषण और जरूरी चिकित्सकीय सुविधाओं से वंचित होकर तिल-तिल मरने को विवश हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डुवार्स में एक जनसभा में आश्वासन दिया था कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे बंद चाय बागानों का अधिग्रहण कर उनके श्रमिकों की हालत को बेहतर करेंगे. केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद केंद्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सिलीगुड़ी में आकर बताया था कि केन्द्र सरकार डंकन्स समूह के चाय बागानों का अधिग्रहण करने का निर्णय लिया है. उसी निर्णय के अनुसार, डंकन्स समूह के छह चाय बागानों का भारतीय चाय बोर्ड ने अधिग्रहण किया भी, लेकिन वह मामला कानूनी दांव-पेच में फंसकर रह गया.
डंकन्स समूह के प्रबंधन पर श्रमिकों के पीएफ और ग्रेच्युटी के मद में करोड़ों रुपये का भुगतान रोक कर रखने का आरोप है. बैठक के दौरान मंत्री गौतम देव ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने इन बागान श्रमिकों के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया. उन्होंने डंकन्स समूह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अदालत के निर्देश के बावजूद चाय बागान श्रमिकों को उनके कानूनी हक से वंचित किये जाने के अलावा चाय बागानों को प्रबंधन परित्यक्त भी घोषित नहीं कर रहा है. इसलिए राज्य सरकार हाईकोर्ट में अपील कर बागान श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाना चाहती है. उसका प्रयास होगा कि अधिकृत रूप से बंद चाय बागानों की तरह डंकन्स समूह के चाय बागान श्रमिकों को भी फाउलाई की सुविधा दी जाये.
बैठक में तय किया गया कि इन बागान श्रमिकों को आर्थिक संकट से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार उन्हें पशु-पालन, पोल्ट्री फार्मिंग, बागवानी, हस्तशिल्प का प्रशिक्षण देगी. इसके अलावा गतिधारा प्रकल्प के माध्यम से इन श्रमिकों को स्वनिर्भर बनाने की कोशिश की जायेगी. साथ ही चाय बागान बहुल इलाकों में पेयजल, सड़क और परिवहन की सुविधा दिलायी जायेगी.

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