उन्होंने बताया कि आइआइटी (आइएसएम), धनबाद की ओर से कोलकाता व दिल्ली शहर में आइआइआइएफ सेंटर खोले गये हैं, जहां संस्थान द्वारा विभिन्न कोर्स कराये जा रहे हैं. राजरहाट स्थित आइआइआइएफ सेंटर में वर्ष 2015 में एमटेक के पांच कोर्स की पढ़ाई शुरू हो चुकी है. इसका पहला बैच वर्ष 2018 में पूरा होगा, जबकि दिल्ली के आइआइआइएफ सेंटर में जुलाई से पाठ्यक्रम शुरू होगा.
इस सेंटर के माध्यम से संस्थान उद्योग व शैक्षणिक संस्थानों में दी जा रही शिक्षा के बीच समांजस्य स्थापित करना चाहता है. उद्योग को भी अगर किसी प्रकार की मदद चाहिए, तो संस्थान इसके लिए पूरी तरह तैयार है. इस मौके पर प्रोफेसर पानीग्रही ने बताया कि देश में अब तक मात्र 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही खनिज पदार्थों की खोज की गयी है, अभी भी 90 प्रतिशत क्षेत्र में कौन सा खनिज है, इसके बारे में कोई खोज नहीं हुई है. भारत एक खनिज प्रधान देश है और इसलिए यहां माइनिंग इंडस्ट्री के विकास की संभावनाएं काफी अधिक हैं.
आइएसएम ने अपनी खोज के दौरान देश में मैगनीज का पता लगाया है, जिसकी कीमत लगभग 36,000 करोड़ है. आइएसएम की स्थापना के बाद 91 वर्षों में मात्र छह-सात हजार करोड़ की खनिज का पता लग पाया था, लेकिन इस वर्ष एक बार में ही संस्थान ने इतनी बड़ी राशि की खनिज का पता लगाया है. आइएसएम एक राज्य में अभी खनिज का पता लगा रहा है और उस खनिज की मात्रा इस 36,000 करोड़ रुपये से कहीं अधिक होगी. मौके पर आइआइटी (आइएसएम), धनबाद के रजिस्ट्रार कर्नल (रिटायर्ड) एमके सिंह ने बताया कि आइआइटी (आइएसएम), धनबाद व आइआइआइएफ सेंटर में दी जानेवाली शिक्षा व प्रमाण पत्र में कोई अंतर नहीं है, दोनों को ही संस्थान द्वारा प्रमाण पत्र दिया जायेगा. मौके पर जादवपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती सहित आइआइआइएफ सेंटर के विभिन्न विभाग के डीन व प्रोफेसर उपस्थित थे.