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फ्लाइओवर तैयार हो जाता, तो भी गिरता

कोलकाता. विवेकानंद फ्लाइओवर हादसे के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद स्थानीय लोग उस दर्दनाक मंजर को भूला नहीं पा रहे हैं. इस घटना की चपेट में आकर 27 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कुल 80 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. एक वर्ष गुजर जाने के बावजूद आज भी दहशत के कारण इस […]

कोलकाता. विवेकानंद फ्लाइओवर हादसे के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद स्थानीय लोग उस दर्दनाक मंजर को भूला नहीं पा रहे हैं. इस घटना की चपेट में आकर 27 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कुल 80 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. एक वर्ष गुजर जाने के बावजूद आज भी दहशत के कारण इस ब्रिज के नीचे से आवाजाही करनेवाले लोग एक नजर ऊपर देखने को मजबूर हो जाते हैं.

पुलिस की तरफ से इस हादसे के आरोपियों के खिलाफ कत्ल का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गयी और इस घटना से जुड़ी ब्रिज बनानेवाली कंपनी आइवीआरसीएल और देखरेख का दायित्व निभा रहे केएमडीए के कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन मौजूदा समय में सभी जमानत पर रिहा हैं. वहीं पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है.

क्या कहते हैं राइट्स के अधिकारी
घटना की जांच करनेवाली एजेंसी राइट्स के अधिकारियों का कहना है कि घटना की गहराई तक जांच में पता चला कि ब्रिज बनाने के दौरान जानबूझ कर कंपनी के अधिकारियों द्वारा गलतियों को नजरंदाज किया गया. इसके कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ. इस ब्रिज को बनाने में इतनी लापरवाही बरती गयी थी कि ब्रिज अगर पूरी तरह से बन भी जाती तो भी उसे किसी दिन टूटना ही था. अगर ब्रिज पूरी तरह से तैयार होने के बाद टूटती तो हादसे का मंजर इससे भी भयावह हो सकता था. हादसे का मूल कारण पी-40 पीलर के ऊपरी हिस्से के स्टील का टूटना था. अधिकारी बताते हैं कि कोई भी ब्रिज निर्माण के लिए स्टील व मैटेरियल की सप्लाई जो कंपनिायां करती हैं, उससे माल आने के बाद पूरे मैटेरियल की जांच किसी तीसरी एजेंसी से कराने के बाद ही पूरा मैटेरियल ब्रिज निर्माण करने वाली कंपनी को मिलता है. यहां जो स्टील की आपूर्ति की गयी, वह उच्च क्वालिटी की थी, लेकिन उपयोग में लाने के पहले स्टील को काफी ज्यादा घिस दिया गया था. इसके बाद बिना तीसरी एजेंसी द्वारा जांच किये इसे उपयोग में ले आया गया, जिसके कारण यह घटना घटी.
पीड़ितों का क्या है कहना : हादसे में जान गंवा चुके अजय कंदोई व सरिता कंदोई के परिवारवालों का कहना है कि हादसे के एक वर्ष बीतने के बावजूद दहशत अब तक खत्म नहीं हुआ. इलाके के लोग इस खतरनाक ब्रिज का निर्माण यहां नहीं चाहते हैं. साथ ही जल्द से जल्द दोषियों को सजा मिले.
आइटी विशेषज्ञों ने फ्लाइओवर के भविष्य पर सर्वेक्षण शुरू किया
आइआइटी खड़गपुर के विशेषज्ञ सर्वेक्षण में यह आकलन की कोशिश करेंगे कि भविष्य में फ्लाइओवर का निर्माण किया जाये या नहीं और यदि फ्लाईओवर बनता है, तो इसकी भार क्षमता क्या होगी. लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता श्रीकुमार भट्टाचार्य ने बताया कि आइटी विशेषज्ञों का दल ट्रैफिक यातायात का सर्वेक्षण करेगा तथा वे लोग फ्लाईओवर की भी जांच करने जायेंगे. उन लोगों ने सर्वेक्षण के लिए चार माह का समय मांगा है. आइटी विशेषज्ञों की टीम में प्रोफेसर अानंदार्पण गुप्ता व श्रीमन भट्टाचार्य भी हैं. आइटी विशेषज्ञों की टीम दिल्ली स्थित कंस्लटिंग इंजीनियरिंग सर्विस की 2008 की विस्तृत रिपोर्ट को भी देखेगी. रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि फ्लाईओवर बन भी जाता है, तो 2017 के बाद ट्रैफिक के भार को वहन नहीं कर पायेगी.

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