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मां की कृपा सभी के लिए आवश्यक
बोले श्रीकांत शास्त्री कोलकाता : श्रीकृष्ण के जीवन में पहले गुरु की उपासना है, बाद में शक्ति की. मां की कृपा, सभी के लिए आवश्यक है. गुरु संदीपन के आश्रम में रहकर श्रीकृष्ण ने 64 दिनों में 64 विद्या की उपासना की. गुरु द्वारा शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्रीकृष्ण ने पूरी विनम्रता के साथ […]
बोले श्रीकांत शास्त्री
कोलकाता : श्रीकृष्ण के जीवन में पहले गुरु की उपासना है, बाद में शक्ति की. मां की कृपा, सभी के लिए आवश्यक है. गुरु संदीपन के आश्रम में रहकर श्रीकृष्ण ने 64 दिनों में 64 विद्या की उपासना की. गुरु द्वारा शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्रीकृष्ण ने पूरी विनम्रता के साथ गुरु को प्रणाम किया और विदा ली. गुरु से प्राप्त विद्या बेचने की चीज नहीं है. इसे जनकल्याण में लगाना चाहिए. जीवन में माता-पिता, गुरु-मित्र, सच्चा मिल जाये तो जीवन धन्य है.
सुदामा की पत्नी सुशीला को कहने पर अपने मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास सुदामा जाते हैं. सुदामा गरीब थे पर कभी याचक नहीं बने. यहां तक द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के सामने भी उन्होंने हाथ नहीं फैलाया. द्वारिका में श्रीकृष्ण ने उनका खूब सत्कार किया. पर बिन मांगे एक अच्छे मित्र की भूमिका निभाते हुए श्रीकृष्ण ने सुदामा के घर को श्रीसंपन्न कर दिया.
सच्चा मित्र वही है, जो बिना कुछ कहे मित्र को सहयोग करे. मंत्र, उपासना और गुरु का सानिध्य कभी निष्फल नहीं होता. पिता को भगवान के रूप में माता को अन्नपूर्णा, पुत्र को लक्ष्मी, पुत्री को दुर्गा, बड़े भाई को राम, छोटे भाई को भरत की तरह समझना चाहिए. श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान, भक्ति, वैराग्य और मोक्ष को प्रदान करने वाली है. ये बातें श्रीमदभागवत कथा पर प्रवचन करते हुए श्रीकांत शास्त्री ने बालीगंज पार्क में कहीं. श्रद्धालुओं का स्वागत सुधा-पवन खेरिया, स्वाति-पावस खेरिया, आद्या खेरिया ने किया.
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