चिकित्सकों की कोशिश हर मरीज को बचाने की रहती है. साइका परवीन को काफी गंभीर स्थिति में लाया गया था. अस्पताल लाये जाने से पहले उनका इलाज एक नर्सिंग होम में चल रहा था. वहां सटीक इलाज के अभाव में उनकी तबीयत बिगड़ी. यहां भर्ती कराये जाने से पहले उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाया गया था. उनकी हालत देखते हुए उक्त अस्पताल ने भर्ती लेने से इनकार कर दिया था. मानवता के खातिर उन्हें यहां भर्ती लिया गया. मरीज का पेट खोलकर आंत की सर्जरी करनी थी. लेकिन रक्तचाप काफी कम होने के कारण सर्जरी के लिए चिकित्सक रक्तचाप के सामान्य होने का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान उनकी मौत हो गयी. जांच में यह भी पता चला था कि मरीज को बचाने की संभावना मात्र 10 फीसदी है. इसकी जानकारी मरीज के परिजनों को दी गयी थी. फिर भी परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ की.
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सीएमआरआइ प्रबंधन ने दी अस्पताल बंद करने की चेतावनी
कोलकाता: इकबालपुर स्थित कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआइ) में तोड़फोड़ की घटना के एक दिन बाद अस्पताल प्रबंधन ने संवाददाता सम्मेलन में अपनी चुप्पी तोड़ी. प्रबंधन ने सिर्फ अपनी बात रखी. किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. प्रबंधन ने अस्पताल बंद करने की चेतावनी दी है. गुरुवार को अस्पताल प्रबंधन द्वारा बुलायी गयी प्रेसवार्ता में […]
कोलकाता: इकबालपुर स्थित कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआइ) में तोड़फोड़ की घटना के एक दिन बाद अस्पताल प्रबंधन ने संवाददाता सम्मेलन में अपनी चुप्पी तोड़ी. प्रबंधन ने सिर्फ अपनी बात रखी. किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. प्रबंधन ने अस्पताल बंद करने की चेतावनी दी है. गुरुवार को अस्पताल प्रबंधन द्वारा बुलायी गयी प्रेसवार्ता में सीके बिरला ग्रुप के सीईओ डॉ शांतनु चट्टोपाध्याय ने कहा कि कई बड़े अस्पताल में आये दिन तोड़फोड़ की घटना होती है.
इससे अस्पताल का कामकाज और मरीजों का इलाज प्रभावित होता है. सीएमआरआइ में हुई तोड़फोड़ से अस्पताल के करीब 2000 कर्मचारी प्रभावित हुए. मरीजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की है. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी इस तरह की घटनाओं को नहीं रोक सकते है. बुधवार की घटना निंदनीय है. यही हाल रहा तो चिकित्सकों को काम करने में परेशानी होगी और हम अस्पताल बंद करने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कई बार आरोप लगाये जाते हैं कि मरीज की मौत इलाज में लापरवाही बरतने के कारण हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है.
डॉ चट्टोपाध्याय ने कहा कि मामले की जांच के लिए जांच कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी में ऐसे चिकित्सकों को शामिल किया गया है, जो मरीज की चिकित्सा में शामिल नहीं थे. हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि कमेटी में कितने चिकित्सकों को शामिल किया गया है और कमेटी कब रिपोर्ट सौंपेगी. जांच कमेटी के गठन की बात कहकर डॉ चट्टोपाध्याय संवाददाता सम्मेलन से चले गये. उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस मामले में वेस्ट बंगाल सर्विस इंस्टीट्यूट के तहत मामला दर्ज कराया गया है.
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