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नोटबंदी के बाद नहीं मिली ओवरटाइम की राशि

कोलकाता. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण, बैंकों के विलय, नोटबंदी के समय अधिक समय तक काम करने के बावजूद आेवर टाइम का रुपया नहीं मिलने सहित अन्य मांगों को लेकर बैंक एसोसिएशन ने 28 फरवरी को हड़ताल का आह्वान किया है. गुरुवार को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (पश्चिम बंगाल राज्य फेडरेशन) के पदाधिकारियों […]

कोलकाता. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण, बैंकों के विलय, नोटबंदी के समय अधिक समय तक काम करने के बावजूद आेवर टाइम का रुपया नहीं मिलने सहित अन्य मांगों को लेकर बैंक एसोसिएशन ने 28 फरवरी को हड़ताल का आह्वान किया है. गुरुवार को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (पश्चिम बंगाल राज्य फेडरेशन) के पदाधिकारियों ने यह घोषणा की.

मौके पर एनसीबीई के महासचिव गौतम बनर्जी ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने अधिक समय तक काम किया और देश के प्रधानमंत्री ने भी इसकी तारीफ की थी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ओवरटाइम का रुपया अब तक बैंककर्मियों को नहीं मिला है.

बैंकों को भी केंद्र सरकार ने ओवरटाइम के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं दी है. साथ ही विमुद्रीकरण के बाद अतिरिक्त दवाब में काम करने की वजह से लगभग 11 बैंककर्मियों की मृत्यु हुई है, लेकिन इनके परिजनों के लिए भी केंद्र सरकार ने कोई मुअावजे की घोषणा नहीं की है.

इस मौके पर एआइबीओसी के सचिव संजय दास ने बताया कि केंद्र सरकार जिस प्रकार से विभिन्न बैंकों का आपस में विलय कर रही है, इससे बैंक की शाखाओं की संख्या कम होती जायेंगी, जिसके फलस्वरूप लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. सभी यूनियनों ने मिल कर 28 फरवरी को हड़ताल का आह्वान किया है. मौके पर पश्चिम बंगाल सर्किल के एनसीबीई के अध्यक्ष राजेश सिंह, बीपीबीईए के उपाध्यक्ष पवित्र चटर्जी, बीईएफ के महासचिव जयदेव दासगुप्ता, आइएनबीईएफ के महासचिव आशीष कुंडु, एआइबीओए के महासचिव समीर बनर्जी, ईसीबी के संयुक्त सचिव सिद्धार्थ खान सहित अन्य उपस्थित रहे.

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