केंद्र सरकार वाममोरचा कार्यकाल के दौरान लिये गये ऋण के ब्याज व मूल के रूप में प्रत्येक वर्ष 40 हजार करोड़ रुपये काट लेती है, इसके अलावा राज्य सरकार को अन्य राज्यों की तुलना में कम राशि आवंटित की जा रही है. इसके बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार अपने बलबूते पर योजनाओं को क्रियान्वित कर रही है. वर्ष 2010-11 में पंचायत व ग्रामीण विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे, जिसे हमारी सरकार ने बढ़ा कर 10 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि नोटबंदी से काफी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं.
बंगाल का हस्तशिल्प व लघु उद्योग नोटबंदी से प्रभावित हुआ है. पिछले दिनों जितने भी हस्तशिल्प मेला लगाया गया, वहां खरीदारी ना के बराबर हुई. इसलिए वह भाजपा नेतृत्ववाली केंद्र सरकार से अपील करती हैं कि विकास के मुद्दे पर राज्य सरकार को भाषण देने की बजाय इसके लिए धनराशि जारी करे. ममता ने यहां पंचायती राज सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी से गांवों में काफी समस्याएं आ रही हैं. केंद्र को विकास के मुद्दे पर हमें भाषण देना बंद कर देना चाहिए. हम, पश्चिम बंगाल के लोग काम को लेकर बातें करने से ज्यादा काम करने में विश्वास करते हैं. केंद्र हमें भाषण देना बंद करे और राज्य के विकास की खातिर राशि जारी करना शुरू करे.
उन्होंने साथ ही कहा कि ग्रामीण निकायों को अफवाह फैलाने के चलन को लेकर सतर्क बने रहना चाहिए और हर कीमत पर राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि लोगों का एक खास वर्ग राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहा है. इस मौके पर राज्य के ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, सांसद मुकुल राय, कृषि मंत्री पुर्णेंदू बसु, खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के साथ-साथ अन्य मंत्री उपस्थित रहे.