इसमें यह तय किया था कि सारधा कंपनी द्वारा चलाये जा रही स्कीम के तरह कोऑपरेटिव स्कीम बाजार में लाकर ग्राहकों का सहारा बना जाय. लिहाजा बैठक में यह नीति तय होने के बाद रोजवैली कंपनी की तरफ से कोऑपरेटिव स्कीम बाजार में लायी गयी. तकरीबन तीन से पांच महीने के अंदर इस स्कीम के जरिये कंपनी ने बाजार से कुल 600 करोड़ ऊगाहे.
इसके बाद कंपनी बाजार में ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी कर फरार हो गयी. इस जानकारी के बाद अब सीबीआइ की टीम ने इस मामले पर भी जांच शुरू कर दी है. उस बैठक में कौन-कौन अधिकारी शामिल थे, इस बारे में जांच हो रही है. जल्द इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी.