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रोजवैली कांड की जांच के दायरे में तृणमूल व विपक्ष के कई बड़े नेता
कोलकाता: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने बुधवार को कहा कि रोजवैली पोंजी घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के दो नेताओं की गिरफ्तारी का नोटबंदी पर पार्टी के विरोध से कोई लेना-देना नहीं है और यह महज ‘संयोग’ है. सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया : रोजवैली घोटाले की जांच वर्ष 2014 में शुरू हुई. […]
कोलकाता: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने बुधवार को कहा कि रोजवैली पोंजी घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के दो नेताओं की गिरफ्तारी का नोटबंदी पर पार्टी के विरोध से कोई लेना-देना नहीं है और यह महज ‘संयोग’ है. सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया : रोजवैली घोटाले की जांच वर्ष 2014 में शुरू हुई. इस बड़े घोटाले में साक्ष्य जुटाने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत है और यह नवंबर में नोटबंदी के फैसले के बहुत पहले शुरू हो गया था.
उन्होंने कहा : नोटबंदी के बाद दो सांसदों की गिरफ्तारी का वक्त महज संयोग है और कुछ नहीं. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य सुदीप बंद्योपाध्याय और तापस पाल को सीबीआइ ने रोजवैली घोटाले के सिलसिले में भुवनेश्वर में दर्ज शिकायतों के आधार पर गिरफ्तार किया है. फिलहाल दोनों हिरासत में हैं. किसी का नाम लिये बगैर अधिकारी ने कहा कि सत्तारूढ़ तृणमूल और विपक्ष दोनों के कई बड़े नेता सीबीआइ की जांच के दायरे में हैं.
सारधा से पांच गुणा बड़ा है रोजवैली घोटाला
सीबीआइ अधिकारी ने कहा : हम उन सभी से पूछताछ करेंगे, जो रोजवैली समूह से जुड़े हुए थे या फिर जिन्हें इससे वित्तीय लाभ मिला है. उन्होंने कहा कि रोजवैली घोटाला लगभग 17,000 करोड़ रुपये का है, जो सारधा घोटाला के मुकाबले पांच गुणा बड़ा है. सारधा और रोजवैली घोटालों में जांच की तुलना करते हुए अधिकारी ने कहा कि दूसरे घोटाले की जांच करना आसान था, क्योंकि सभी दस्तावेज मौजूद थे और बीच की कोई कड़ी गायब नहीं थी. रोजवैली घोटाले में एक लोकप्रिय अभिनेत्री की कथित संलिप्तता के संबंध में पूछने पर सीबीआइ अधिकारी ने कहा कि अभी तक उनके खिलाफ कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है.
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