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शिक्षा बन गया है व्यवसाय

।। भारती जैनानी ।। शिक्षकों का आरोप, माध्यमिक के लिए अवैध रूप से भी जारी होते हैं एडमिट कार्ड सेंटअप में फेल हो चुके छात्रों से मोटी रकम वसूल कर दिया जाता है रेग्युलर छात्र का रजिस्ट्रेशन कोलकाता : माध्यमिक परीक्षा के तथाकथित छात्रों को कोर्ट के आदेश के बावजूद एडमिट कार्ड जारी करने के […]

।। भारती जैनानी ।।

शिक्षकों का आरोप, माध्यमिक के लिए अवैध रूप से भी जारी होते हैं एडमिट कार्ड

सेंटअप में फेल हो चुके छात्रों से मोटी रकम वसूल कर दिया जाता है रेग्युलर छात्र का रजिस्ट्रेशन

कोलकाता : माध्यमिक परीक्षा के तथाकथित छात्रों को कोर्ट के आदेश के बावजूद एडमिट कार्ड जारी करने के राज्य सरकार के फरमान से राज्य के शिक्षकों में काफी असंतोष है.

उनका कहना है कि स्कूल द्वारा सही कागजात नहीं जमा करवाने के कारण कोर्ट ने उक्त छात्रों को अवैध घोषित करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी. वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उक्त छात्रों को एडमिट कार्ड जारी करने का आदेश देकर दु:स्साहस दिखाया है.

शिक्षकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भले ही मुख्यमंत्री ने छात्रों के साथ सहानुभूति दिखाकर अपनी छवि चमकाने की कोशिश की है लेकिन भविष्य में इन छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ये छात्र अब तक नियमित (रेग्युलर) छात्र के रूप में पंजीकृत थे, अब उन्हें एक्सटर्नल के रूप में परीक्षा देनी पड़ेगी, जिसके कारण उन्हें स्कूल के ओरल मार्क्स नहीं मिल पायेंगे. इन छात्रों की मार्क्सशीट में एक्सटर्नल लिखा रहेगा, जिससे आगे दाखिले में भी समस्या हो सकती है.

लंबे समय से अध्यापन से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि न केवल कांकीनाड़ा हाइ स्कूल बल्कि अन्य स्कूल के कई ऐसे छात्र हैं जो माध्यमिक की परीक्षा में रजिस्ट्रेशन तो करवा लिये हैं लेकिन वे योग्य नहीं हैं. कहने का अर्थ यह है कि इनमें से कई छात्र ऐसे हैं जो सेंट अप में फेल हो चुके हैं अथवा जिन्होंने आठवीं तक भी पढ़ाई पूरी नहीं की है. ऐसे कई छात्रों से मोटी रकम वसूल कर माध्यमिक परीक्षा के लिए उन्हें रेग्युलर छात्रों के रूप में पंजीकृत किया जाता है.

इस कार्य में लंबे समय से एक शिक्षा माफिया काम कर रहा है, जिसके कारण शिक्षा व्यापार बनती जा रही है. यह गिरोह छात्रों से 10-15 हजार रुपये लेकर किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूलों से रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं. इसी रजिस्ट्रेशन के आधार पर बोर्ड से इनको एडमिट कार्ड भी जारी हो जाता है.

सबकी मिलीभगत

सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के कुछ अनुभवी शिक्षकों का कहना है कि कई स्कूल ऐसे हैं जो छोटे से फ्लैट से चलाये जा रहे हैं, उनके पास किसी बोर्ड की मान्यता नहीं है. ये स्कूल अन्य मान्यता प्राप्त स्कूलों से करार कर छात्रों का नामांकन करवा लेते हैं. छात्रों से वसूली गयी रकम का आधा-आधा हिस्सा आपस में बांट लेते हैं. हावड़ा, लिलुआ, बांधाघाट, नैहट्टी व कोलकाता के कई ऐसे स्कूल हैं जिनमें स्कूल प्रबंधन कमेटियां यह काम बड़ी सूक्ष्मता से कर रही हैं. इन स्कूलों में बाकायदा एक रजिस्टर अलग से तैयार कर उन छात्रों की उपस्थिति रेग्युलर छात्रों के रूप में दिखायी जाती है जो कभी स्कूल आते ही नहीं हैं.

इनमें वे छात्र भी हैं जो सेंट अप में फेल हो चुके हैं या उनके पास आठवीं तक का सर्टिफिकेट भी नहीं होता है. हावड़ा के स्कूल के एक हेडमास्टर ने बताया कि कई ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधक सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों से सम्पर्क कर छात्रों का रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं.

इसके लिए छात्रों से पांच-दस हजार रुपये वसूले जाते हैं. इसमें बोर्ड के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है. इस विषय में नैहाटी के विद्या विकास हाइ स्कूल के सचिव रंजीत कुमार साव ने स्पष्ट किया कि छात्रों से पैसा लेकर अवैध तरीके से कुछ स्कूल रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं, यह उनकी जानकारी में नहीं है.

गैर मान्यता प्राप्त स्कूल सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों से सम्पर्क कर छात्रों का रजिस्ट्रेशन करवाते हैं. इसमें कुछ गलत नहीं है. अभी वैसे भी राज्य में उदार शिक्षा नीति अपनायी जा रही है. ये सभी छात्र एक्सटर्नल (प्राइवेट) के रूप में परीक्षा देंगे. शैक्षिक योग्यता के आधार पर ही माध्यमिक का एडमिट कार्ड उन्हें जारी किया जाता है.

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