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28 साल बाद संक्रांति पर बना है सर्वार्थ सिद्धि का दुर्लभ योग
शनि के घर में सूर्य का प्रवेश होगा मकर राशि में मकर संक्रांति पर पूरे दिन पुण्यकाल, करें दान कोलकाता : मकर संक्रांति पर 28 साल बाद दुर्लभ महायोग बन रहा है. मकर संक्रांति पर 14 जनवरी को सूर्य शनि के घर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पिता-पुत्र का मिलन होगा, जो दो माह तक […]
शनि के घर में सूर्य का प्रवेश होगा मकर राशि में
मकर संक्रांति पर पूरे दिन पुण्यकाल, करें दान
कोलकाता : मकर संक्रांति पर 28 साल बाद दुर्लभ महायोग बन रहा है. मकर संक्रांति पर 14 जनवरी को सूर्य शनि के घर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पिता-पुत्र का मिलन होगा, जो दो माह तक रहेगा. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जायेंगे. इसके चलते मलमास की समाप्ति हो जायेगी. इससे विवाह जैसे शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जायेगी.
स्थानीय शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी के अनुसार मकर संक्रांति पर पूरे दिन पुण्यकाल रहेगा. इस दिन दान-पुण्य, गंगा तीर्थ स्नान का विशेष महत्व है. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. अतएव इसी तरह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.
साल का पहला पुष्य नक्षत्र 13 को, करें खरीदारी
मकर संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी को सुबह 07:14 बजे से रात्रि 11:14 बजे तक साल की पहली खरीदारी का शुभ पुष्य नक्षत्र बन रहा है. 14 जनवरी की दोपहर 01:55 बजे सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. करीब 28 साल के बाद मकर संक्रांति पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग के साथ चन्द्रमा कर्क राशि में और अश्लेषा नक्षत्र प्रीति तथा मानस योग रहेगा.
बदलती रहती है इसकी तिथि
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनायी जाती है. लेकिन किसी वर्ष यह पर्व 12, 13 या 15 जनवरी को भी हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है.
इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. इसी वजह से वर्ष 2016 में मकर संक्रांति 14 जनवरी के बजाय 15 जनवरी को थी. प्रत्येक दो साल पर तिथि बदलती रहती है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण ही यह पर्व मकर संक्रांति देवदान पर्व के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रांति मनाये जाने का यह क्रम हर दो साल पर बदलता रहता है. लीप इयर वर्ष आने के काड़ण मकर संक्रांति वर्ष 2017, वर्ष 2018, वर्ष 2021 में 14 जनवरी को, वर्ष 2019 तथा वर्ष 2020 में 15 जनवरी को मनायी जायेगी. यह क्रम 2030 तक चलेगा. इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को तथा एक साल 14 जनवरी को मनायी जायेगी.
17 सौ साल पहले 22 दिसंबर को होती थी मकर संक्रांति
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछए रह जाती है. इससे सूर्य मकर राशि में एक दिन देरी से प्रवेश करता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार करीब 17 सौ साल पहले 22 दिसंबर को मकर संक्रांति मनायी जाती थी. इसके बाद पृथ्वी के घूमने की गति के चते यह धीरे-धीरे दिसंबर के बजाय जनवरी में आ गयी है. मकर संक्रांति का समय हर 80 से एक सौ साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है. 19वीं शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 या 14 जनवरी को मनायी जाती थी. पिछले तीन सालों से लगातार संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनायी जायेगी.
मकर संक्रांति पर दान करने का महत्व
पंडित श्री तिवारी के अनुसार मकर संक्रांति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में काफी बढ़ जाता है. इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी जरूरतमंद को अन्नदान, तिल गुड़ का दान करना चाहिए. तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल से बने अन्य खाद्य पदार्थ भी दान करना शुभ होता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है.
राशि दान सामग्री फल
मेष दही, काला तिल इष्ट अभीष्ट सिद्धि
वृष सफेद तिल, वस्त्र धर्म लाभ
मिथुन दूध, चावल स्वास्थ्य का कष्ट
कर्क गेहूं, काला तिल सम्मान बढ़ानेवाला
सिंह कुवांरी कन्या को भोजन प्रभाव में वृद्धि
कन्या चावल, काला तिल यश प्रतिष्ठा में वृद्धि
तुला दाल, पीला वस्त्र पारिवारिक कलह मुक्ति
वृश्चिक दाल, काला तिल धन लाभ
धनु चावल, काला तिल संतोषकारी
मकर दही, काला तिल मित्र विवाद मुक्ति
कुंभ दही, पीला वस्त्र धन बढ़ानेवाला
मीन गेहूं, काला तिल शत्रु पराजय फल
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