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आज चकित करनेवाली है चमक चांदनी
70 साल के बाद चांद अपने शोख शबाब पर होगा फिर 2034 में मिलेगा यह देखने का सौभाग्य संतन कुमार पांडेय कोलकाता. 14 नवंबर की चांदनी चहेतों को चमत्कृत कर जायेगी. 70 साल के बाद चांद अपने इतने शोख शबाब पर होगा. नील नभ में एेसा नयनाभिराम नजारा 1948 के प्रकारांतर से प्रजातंत्र दिवस को […]
70 साल के बाद चांद अपने शोख शबाब पर होगा
फिर 2034 में मिलेगा यह देखने का सौभाग्य
संतन कुमार पांडेय
कोलकाता. 14 नवंबर की चांदनी चहेतों को चमत्कृत कर जायेगी. 70 साल के बाद चांद अपने इतने शोख शबाब पर होगा. नील नभ में एेसा नयनाभिराम नजारा 1948 के प्रकारांतर से प्रजातंत्र दिवस को प्रज्वलित करने के उपरांत अब नसीब से नजर आनेवाला है, जिसे सुकवि सुमित्रानंदन पंत ने ‘आह्लादिनी चांदनी’ कह कर संबोधित किया है : ‘झर-झर निर्निमेष शोभा में, उन्मेषित करता मन.’ आज की पूर्णिमा न केवल चौदह फीसदी बढ़-चढ़ कर होगी, बल्कि चालीस गुना चमकप्रद भी होगी़ आज चांद और उसकी चांदनी की छटा को निहारने से हरगिज नहीं चूकना चाहिए, क्योंकि फिर ऐसा सौंदर्योपम सौभाग्य 2034 में ही संभव होगा.
आखिर चांद की चांदनी में इतनी चमक भारी अंतराल से क्यों आ जाती है? दरअसल, यह ऐसे दुर्लभ संयोग पर आधारित है कि चांद की पृथ्वी से दूरी कितनी है? चांद का परिक्रमा पथ अंडाकार होता है और अंडाकार पथ पर पृथ्वी की परिक्रमा करते चांद की दूरी घटती-बढ़ती रहती है, निकटतम बिंदु को उपभू (पेरिजी) और दूरस्थ बिंदु को (एपोजी) पराकाष्ठा या शिरोबिंदु कहते है़ं उपभू 48280 किलो मीटर की दूरी पर स्थित होता है़ सूर्य, पृथ्वी और चांद के समतल रेखा पर आ जाने पर उपभू पृथ्वीमुखी हो जाता है और उसके सूर्य से पृथ्वी की विपरीत दिशा में रहने की सूरत में ही उपभू वाली पूर्णिमा होती है और यही पूर्णिमा चांद की चांदनी को चमका देती है, जो लीक से हट कर लावण्यमयी होती है़ हालांकि पिछले 16 अक्तूबर अौर आगामी 14 दिसंबर की पूर्णिमा का प्रभा मंडल भी उल्लेखनीय है, पर वह उतनी लाजवाब नहीं, जितनी आज की पूर्णिमा. आज 4 बज कर 58 मिनट पर चांद उदय होगा और दो ही घंटे में 7 बज कर 22 मिनट में अदभुत आकार के अतीव आकर्षण में ढल जायेगा, बशर्ते बादल बाधक न बन जायें. अतएव आज क्षितिज पर चमचमाते चांद से आंखें चार करने का अनोखा अवसर है़ ‘अब भी याद दिलाता चांद/ शील सुषमा की/ स्निग्द्ध रश्मि बरसा कर.’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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