आखिरकार, परेशान परिजनों ने अस्पताल की बकाया राशि खुदरे में भुगतान की. डिस्चार्ज होने के लगभग 24 घंटों बाद परिजन खुदरा पैसे लेकर अस्पताल पहुंचे व बिल का भुगतान किया. हालांकि शुरुआत में इन खुदरा पैसों को कैशियर ने लेने से मना कर दिया, लेकिन मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर बकाया बिल खुदरा पैसों में ही लिया गया. घटना कोलकाता के अलीपुर स्थित एक गैर सरकारी अस्पताल की है. मरीज का नाम सुकांत छावले (35) है. वह डेंगू से पीड़ित था.
परिजनों ने प्रबंधन से संपर्क किया. इसके बाद बकाया भुगतान चेक से करने की बात प्रबंधन को कही लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. अंत में उन्होंने खुदरा पैसों में बिल देने का प्रस्ताव दिया गया. प्रबंधन ने खुदरा पैसे लेने की हामी भरी. इसके बाद बुधवार को स्नेहाशीष व बाकी लोग घर पहुंचे और इस समस्या से स्थानीय लोगों को अवगत कराया. सभी ने अपने घर के कुल्हड़ को तोड़ डाला व उसमें रखे खुदरा पैसों को बाहर निकाल कर उसकी गिनती शुरू की. इसके बाद 40,000 रुपये (खुदरा पैसा) लेकर स्नेहाशीष अस्पताल पहुंचे. इतने सारे खुदरे पैसे देखकर कैशियर ने इसे लेने से इनकार कर दिया. हालांकि मीडिया कर्मियों के हस्तक्षेप के बाद बकाया बिल का खुदरों में भुगतान हो पाया.