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निजी अस्पताल का पुराने नोट लेने से इनकार

हावड़ा. मरीज को डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिये जाने के बाद बकाया बिल जमा करने पहुंचे मरीज के परिजनों से अस्पताल ने 500-1000 रुपये का नोट लेने से इनकार कर दिया. परिजनों ने बिल का भुगतान चेक से करने की कोशिश की, लेकिन आरोप है कि प्रबंधन ने चेक भी नहीं लिया. आखिरकार, परेशान परिजनों ने अस्पताल […]

हावड़ा. मरीज को डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिये जाने के बाद बकाया बिल जमा करने पहुंचे मरीज के परिजनों से अस्पताल ने 500-1000 रुपये का नोट लेने से इनकार कर दिया. परिजनों ने बिल का भुगतान चेक से करने की कोशिश की, लेकिन आरोप है कि प्रबंधन ने चेक भी नहीं लिया.

आखिरकार, परेशान परिजनों ने अस्पताल की बकाया राशि खुदरे में भुगतान की. डिस्चार्ज होने के लगभग 24 घंटों बाद परिजन खुदरा पैसे लेकर अस्पताल पहुंचे व बिल का भुगतान किया. हालांकि शुरुआत में इन खुदरा पैसों को कैशियर ने लेने से मना कर दिया, लेकिन मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर बकाया बिल खुदरा पैसों में ही लिया गया. घटना कोलकाता के अलीपुर स्थित एक गैर सरकारी अस्पताल की है. मरीज का नाम सुकांत छावले (35) है. वह डेंगू से पीड़ित था.

क्या है घटना
दासनगर के शानपुर का रहनेवाले सुकांत को तेज बुखार हुआ. रक्त परीक्षण में डेंगू की पुष्टि हुई. चार नवंबर को उसे स्थानीय एक नर्सिंग होम में दाखिल कराया गया. हालत में सुधार नहीं होने पर पांच नवंबर को उसे कोलकाता के एक गैर सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया. बड़े भाई स्नेहाशीष छावले ने बताया कि उसके दाखिले के साथ ही 10 हजार रुपये जमा कराया गया. दो दिन बाद परिजनों ने आैर 10 हजार रुपये जमा किये, इस तरह कुल 20 हजार रुपये जमा किये गये. इस बीच सुकांत की तबीयत सुधरनी शुरू हुई और नौ नवंबर को डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज करने का फैसला लिया. इस दौरान उसके इलाज खर्च लगभग 60 हजार रुपये हुआ था. घरवाले 39,152 रुपये की बकाया राशि देने के लिए काउंटर पर पहुंचे. उनके पास 500-1000 रुपये के नोट थे लेकिन कैशियर ने इन्हें लेने से साफ इनकार कर दिया.

परिजनों ने प्रबंधन से संपर्क किया. इसके बाद बकाया भुगतान चेक से करने की बात प्रबंधन को कही लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. अंत में उन्होंने खुदरा पैसों में बिल देने का प्रस्ताव दिया गया. प्रबंधन ने खुदरा पैसे लेने की हामी भरी. इसके बाद बुधवार को स्नेहाशीष व बाकी लोग घर पहुंचे और इस समस्या से स्थानीय लोगों को अवगत कराया. सभी ने अपने घर के कुल्हड़ को तोड़ डाला व उसमें रखे खुदरा पैसों को बाहर निकाल कर उसकी गिनती शुरू की. इसके बाद 40,000 रुपये (खुदरा पैसा) लेकर स्नेहाशीष अस्पताल पहुंचे. इतने सारे खुदरे पैसे देखकर कैशियर ने इसे लेने से इनकार कर दिया. हालांकि मीडिया कर्मियों के हस्तक्षेप के बाद बकाया बिल का खुदरों में भुगतान हो पाया.

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