महाराज ने भगवान शिव का गुणगान करते हुये कहा िक जिस प्रकार भगवान शिव ने मानव जाति एवं पृथ्वी के कल्याण के लिये विषपान किया, उसी प्रकार सभी लोगों को समाज एवं परिवार के कल्याण के लिये समर्पण करना चाहिये. हमें प्रकृति से जितना आवश्यक है उतना ही ग्रहण करना चािहये. किसी भी चीज का संग्रह न करें. जिस प्रकार हमारे शरीर में थोड़ी सी भी खरोंच तकलीफ देती है, उसी प्रकार प्रकृति के समस्त जीव-जन्तुओं के साथ होता है.
हमारा कोई अधिकार नहीं है कि हम अपने स्वार्थ के लिये किसी का भी वध करें. एक ओर हम जहां भगवान शिव के गले में लगे सांप को पूजते हैं, वहीं दूसरी ओर घर में निकलने पर हम उसे ढूंढकर मार डालते हैं. ऐसा न कर सभी जीवों पर दया करनी चािहये. जिसके नसीब में जो लिखा रहता है, उतना ही मिलता है. समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को नहीं मिला है.
मनुष्य को जीवन के किसी भी पड़ाव पर मायूस नहीं होना चाहिये. सच्चे पथ पर चलते हुए श्रद्धपूर्वक कर्तव्यों का निर्वाह करें. समय पर उसका सुफल अवश्य मिलेगा. इस दौरान महाराज ने अपने भजनों से श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर िदया. पंडाल जय श्रीराम के जयकारे से गूंजता रहा. मौके पर राजेश यादव, अंशु उपाध्याय, बृजेश पाण्डेय, जीतेंद्र पांडेय, रामविलास यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर रामकथा का आनंद उठाया.