इसके साथ ही एक अक्तूबर को अब्दुल मन्ना के हुगली स्थित आवास पर भेजा गया डॉ भुईंया का पत्र अब्दुल मन्नान को मिला, जब उन्होंने पत्र खोला तो देखा कि उसमें केवल कोरा कागज है. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि डॉ भुईंया जैसे वरिष्ठ नेता से इस तरह के व्यवहार की आशा नहीं थी. उन्हें लोगों को यह बताने से भय लग रहा है कि वह कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल में शामिल हो गये हैं या फिर वे किसी मानसिक रोग से पीड़ित हैं क्योंकि कोई मानसिक रोगी ही ऐसा कर सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि यदि डॉ भुईंया ने उन्हें पत्र लिखा है,तो उसे मीडिया के माध्यम से 48 घंटे के अंदर सार्वजनिक करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से उनकी सदस्यता खारिज करने की भी अपील की है. साथ ही कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल में गये अन्य विधायक तुषार कांति भट्टाचार्य व रविऊल आलम चौधरी की भी सदस्यता खारिज करने की मांग की है.
इस पर स्पष्टीकरण देते हुए डॉ भुईया ने श्री मन्नान के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि उन्होंने कांग्रेस विधायक दल के नेता को उनके पत्र के जवाब में पत्र लिखा था. चूंकि पत्र उनके आवास पर भेजा गया था, इसलिए उन्होंने भी श्री मन्नान के आवास पर पत्र भेजा है. उन्होंने कहा कि पत्र में पूरा जवाब लिखा है, लेकिन मन्नान उन्हें अपमानित करने के लिए इस तरह की बातें कह रहे हैं. वे अब वास्तव में कांग्रेस में हैं, अभी तक वे प्रॉक्सी कांग्रेस में थे.