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फरार विचाराधीन कैदी गिरफ्तार
एमआर बांगुड़ अस्पताल से हुआ था फरार मालदा से हुई गिरफ्तारी पांच वर्षों में बंगाल में लॉकअप से विचाराधीन कैदियों के फरार होने के 182 मामले हुए पूरे देश में ऐसी घटनाओं की संख्या करीब 5,129 दर्ज की गयी कोलकाता :कई बार जरूरत के हिसाब से संशोधनागार में विचाराधीन कैदियों को इलाज के लिए अस्पताल […]
एमआर बांगुड़ अस्पताल से हुआ था फरार
मालदा से हुई गिरफ्तारी
पांच वर्षों में बंगाल में लॉकअप से विचाराधीन कैदियों के फरार होने के 182 मामले हुए
पूरे देश में ऐसी घटनाओं की संख्या करीब 5,129 दर्ज की गयी
कोलकाता :कई बार जरूरत के हिसाब से संशोधनागार में विचाराधीन कैदियों को इलाज के लिए अस्पताल में भरती करना पड़ता है. कई मामलों में विचाराधीन कैदी लॉकअप के बाहर यानी अस्पताल या दूसरी जगहों से पुलिस व संशोधनागार के सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहते हैं. ऐसे मामलों की जांच और कैदियों को वापस गिरफ्तार कर पाना पुलिस के लिए आसान नहीं होता. ऐसा ही मामला महानगर में हुआ था. विगत शनिवार की सुबह अलीपुर संशोधनागार का विचाराधीन कैदी सफीकुल (24) एमआर बांगुड़ अस्पताल से फरार हो गया था. इस मामले की शिकायत यादवपुर थाने में करायी गयी थी.
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सफीकुल को मालदा से गिरफ्तार कर लिया. मालदा में सफीकुल का पैतृक मकान है. गिरफ्तार के बाद सफीकुल को अलीपुर संशोधनागार प्रबंधन को सौंप दिया गया. वहां उससे पूछताछ की जा रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े
सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाये तो वर्ष 2011 से 2015 तक यानी करीब पांच वर्षों के अंतराल में पूरे देश में लॉकअप के बाहर से यानी अस्पताल या दूसरे जगहों से विचाराधीन कैदियों के फरार होने की करीब 5,129 घटनाएं घटीं. करीब 3,520 मामलों को सुलझाने में यानी फरार हुए विचाराधीन कैदियों को गिरफ्तार कर पाने में पुलिस सफल रही है.
पश्चिम बंगाल की बात करें, तो पांच वर्षों के अंतराल में राज्य में लॉकअप के बाहर से विचाराधीन कैदियों के फरार होने की करीब 136 घटनाएं घटीं. इन मामलों की जांच के बाद पुलिस फरार होनेवालेे 82 विचाराधीन कैदियों को वापस गिरफ्तार कर पाने में सफल रही है.
आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2011 में लॉकअप के बाहर से करीब 1,114 विचाराधीन कैदी फरार हुए थे. वर्ष 2012 में उपरोक्त मामलों की संख्या 941, 2013 में 931, 2014 में 989 और 2015 में 1,154 थी. वर्ष 2011 में फरार हुए 715 विचाराधीन कैदियों को पुलिस वापस गिरफ्तार कर पायी, जबकि वर्ष 2012 में 703, 2013 में 677, 2014 में 698 और 2015 में 727 फरार होनेवाले विचाराधीन कैदी पकड़े गये.
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2011 में लॉकअप के बाहर से करीब 29 विचाराधीन कैदी फरार हुए थे. वर्ष 2012 में उपरोक्त मामलों की संख्या 25, 2013 में 6, 2014 में 40 और वर्ष 2015 में 36 थी. वर्ष 2011 में फरार हुए 12 विचाराधीन कैदियों को पुलिस वापस पकड़ पायी, जबकि वर्ष 2012 में 10, 2013 में 5, 2014 में 30 और वर्ष 2015 में 25 फरार होनेवाले विचाराधीन कैदियों को गिरफ्तार किया गया.
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